December 24, 2024
Sevoke Road, Siliguri
उत्तर बंगाल जुर्म सिलीगुड़ी

माटीगाड़ा हत्याकांड: फैसले में देरी पर मृतका की मां की चीख से सिलीगुड़ी कचहरी गूंजी … अब्बास को फांसी दो!

सिलीगुड़ी कचहरी में उस समय काफी चहल पहल थी. वकील से लेकर मुवक्किल, कातिब, टाइपिस्ट सब अपने-अपने कार्य में व्यस्त थे. तभी वहां एक महिला की चीख और पुकार गूंजने लगी, जो मीडिया के लोगों से कह रही थी, कब तक मेरी बेटी की आत्मा न्याय के लिए भटकती रहेगी? कब जागेगी न्यायपालिका? मैंने अपनी बेटी को खोया है. अब क्या बेटे को भी खो दूं? 14 साल का मेरा बेटा है. जो बिना कुछ खाए पिए अपनी दीदी की आत्मा को इंसाफ दिलाने के लिए भाग दौड़ कर रहा है. उसका इम्तिहान भी है. लेकिन यह अदालत हमारी व्यथा को सुन नहीं रही है. क्यों हो रहा है फैसले में विलंब?

अचानक महिला की चीख पुकार सुनकर सिलीगुड़ी कोर्ट में आए वकील, मुवक्किल और अन्य दूसरे लोग आवाज की दिशा में बढ़ गए. बड़ी ही कारुणिक आवाज थी. दिल को चीर देने वाली आवाज़ थी, जिसमें दर्द छलक रहा था. लोग बाग अनायास ही महिला की ओर बढ़ने लगे. दरअसल सिलीगुड़ी कोर्ट में माटीगाड़ा के बहुचर्चित नाबालिग स्कूली बालिका हत्याकांड की सुनवाई शुरू हो गई है. आज इस मामले के जांच अधिकारी की गवाही होनी थी, लेकिन उस समय तक अदालत की कार्यवाही शुरू नहीं हो सकी थी.

पिछले कई दिनों से ऐसा ही चल रहा है. अदालती कार्रवाई में विभिन्न कारणों से देरी हो रही है. कभी पुलिस के अधिकारी समय पर कोर्ट में उपस्थित नहीं हो पाते, तो कभी बचाव पक्ष के वकील नहीं आते. कभी सरकारी वकील नहीं होते तो कभी-कभी तकनीकी कारणों से भी कोर्ट की कार्यवाही अगले दिन के लिए टाल दी जाती है. किसी भी मुकदमे की कार्यवाही में संबंधित पक्षों का अदालत में उपस्थित रहना आवश्यक होता है. इनमें से किसी भी पक्ष की अनुपस्थिति के कारण न्यायालय को सुनवाई अगली तारीखों तक टाल देनी पड़ती है.

माटीगाड़ा के बहु चर्चित नाबालिक हत्याकांड में आरंभ में कयास लगाया जा रहा था कि दो-तीन महीने के अंदर ही अदालत का फैसला आ जाएगा. क्योंकि एक तो हत्या के आरोपी मोहम्मद अब्बास ने पुलिस के सम्मुख अपना गुनाह कबूल कर लिया था. दूसरे में पुलिस ने मोहम्मद अब्बास के खिलाफ तमाम सबूत और तथ्य एकत्र कर लिए थे.इसके अलावा पोस्टमार्टम रिपोर्ट और डॉक्टर भी बयान दे चुके हैं. ऐसे में लोगों को लगता था कि यह मामला ज्यादा दिनों तक नहीं चलेगा और कोर्ट का फैसला आ जाएगा. लेकिन ऐसा हुआ नहीं.

अदालती कार्यवाही में हो रही देरी को लेकर अब तक सब्र धारण करती आ रही मृतका की मां के सब्र का पैमाना आज छलक उठा और उन्होंने अदालत, मोहम्मद अब्बास और वकीलों पर अपना गुस्सा दिखाते हुए खूब भड़ास निकाली. कहा कि हर पेशी पर उनकी न्यायालय से आशा बंध जाती है कि आज कुछ ना कुछ नतीजा सामने आएगा. लेकिन यह अदालत जानबूझकर मोहम्मद अब्बास को बचने का समय दे रही है. मेरी व्यथा का एहसास किसी को भी नहीं है. मैंने अपनी बेटी को खोया है. उसके लिए लड़ती रहूंगी, जब तक कि इंसाफ न मिल जाए. मृतका की मां ने भीड़ के बीच ही उनकी बेटी के कातिल मोहम्मद अब्बास को भद्दी गालियां देते हुए कहा कि उसने उनकी बेटी के साथ दुष्कर्म किया. उसने उनकी बेटी की हत्या की है. इसलिए जब तक उसे फांसी की सजा नहीं हो जाती, तब तक वह अपनी लड़ाई जारी रखेगी.

मृतका की मां ने कहा कि घर के सारे काम धाम छोड़कर वह अदालत आती है. लेकिन यहां आने पर कोर्ट की कार्यवाही ही नहीं होती. कुछ देर के लिए सुनवाई होती है और फिर अगले दिन के लिए मामला टाल दिया जाता है. क्या इस तरह मेरी बेटी की आत्मा को इंसाफ मिलेगा? मृतका की मां ने लगभग चीखते हुए कहा कि अदालत को मेरी आवाज सुननी ही होगी. अन्यथा लोगों का अदालत पर से भरोसा उठ जाएगा…

पिछले कई दिनों से सिलीगुड़ी कोर्ट में इस हत्याकांड की सुनवाई चल रही है. हर तारीख पर मोहम्मद अब्बास की बुढ़ी मां और मृतका के परिजन कोर्ट में आते हैं. मृतका के परिजन तो हर दिन इसी उम्मीद में रहते हैं कि मामले की प्रगति होगी और उन्हें जल्द इंसाफ मिलेगा. जबकि मोहम्मद अब्बास की मां कचहरी में इसलिए आती है कि वह अपने बेटे का दीदार कर सके. भले ही बेटा नालायक निकल गया, लेकिन है तो उसका बेटा ही, जिसको निर्दोष साबित करने के लिए वह लोगों से भीख मांग कर पैसे इकट्ठा करके कोर्ट में आती है. मोहम्मद अब्बास की बूढी मां कहती है कि उसे अल्लाह पर भरोसा है. उसका बेटा निर्दोष है. उसे फ॔साया गया है. वह जरूर बरी हो जाएगा. लेकिन उसे कौन समझाए कि उसके बेटे का बचना अब मुश्किल है. तमाम सबूत, साक्ष्य और गवाह उसके खिलाफ हैं, जो चीख चीख कर कह रहे हैं कि खून उसने ही किया है. अदालत तो सिर्फ कानूनी प्रक्रिया का पालन कर रही है.

अदालत का फैसला आने में देरी भले हो रही हो, लेकिन फैसला तो मृतका की आत्मा की शांति के लिए ही होगा. लेकिन अदालत से कहीं चूक ना हो जाए, इसलिए हत्या के आरोपी मोहम्मद अब्बास को अपनी बेगुनाही साबित करने के लिए मौका दे रही है. अन्यथा अदालत के पास उसे दोषी साबित करने के तमाम सबूत और साक्ष्य उपलब्ध हो गए हैं. बहुत जल्द अदालत तमाम औपचारिकताओं और सबूत, साक्ष्यों पर तस्दीक की मुहर लगा देगी, तब तक पीड़ित पक्ष को धैर्य रखने की जरूरत है.

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