क्या आप बिहार अथवा असम या अन्य राज्यों से इलाज के लिए उत्तर बंगाल मेडिकल कॉलेज अस्पताल आए हैं और चाहते हैं कि रोगी का इलाज हो सके? क्या आप सिक्किम से इलाज के लिए सिलीगुड़ी जिला अस्पताल में आए हैं और चाहते हैं कि सिलीगुड़ी जिला अस्पताल में आपका इलाज हो सके? क्या उत्तर बंगाल मेडिकल कॉलेज अस्पताल अथवा सिलीगुड़ी जिला अस्पताल में आपका इलाज हो सकेगा? आप तो यही कहेंगे कि क्यों नहीं. क्योंकि अब तक तो ऐसा ही होता आ रहा है.
चाहे रोगी किसी भी प्रदेश का क्यों ना हो, सरकारी अस्पताल वाले रोगी का इलाज करने से मना नहीं कर सकते. लेकिन अब मना कर देंगे. कम से कम मुफ्त में सरकारी अस्पताल में आपका इलाज नहीं होगा. यहां उन्हीं लोगों का मुफ्त में इलाज होगा, जो बंगाल के निवासी होंगे. उन्हें अपना परिचय पत्र दिखाना होगा. आधार कार्ड, वोटर कार्ड या स्वास्थ्य साथी कार्ड आपके पास होने पर ही आपका सरकारी अस्पतालों में मुफ्त इलाज होगा.
सिलीगुड़ी एक ऐसा स्थान है, जहां विभिन्न प्रदेशों के लोग निवास करते हैं. यहां जो लोग रह रहे हैं, उन्होंने तो अपना बंगाल का नागरिकता पहचान पत्र बनवा लिया है. परंतु अभी भी कई ऐसे लोग हैं जिनका ना तो कोई पहचान पत्र है और ना ही उनके पास बंगाल की नागरिकता है. सिलीगुड़ी में रहते हुए भी ऐसे लोगों का सरकारी अस्पतालों में मुफ्त इलाज नहीं होगा.
सिलीगुड़ी में निवास करने वाले कई लोगों के घर रिश्तेदार आते रहते हैं. कुछ लोग यहां इलाज के लिए आते हैं, तो कुछ लोग घूमने फिरने के लिए. जो लोग यहां इलाज के लिए आते हैं, उनका भी अब सरकारी अस्पतालों में जैसे सिलीगुड़ी जिला अस्पताल, उत्तर बंगाल मेडिकल कॉलेज अस्पताल इत्यादि में मुफ्त इलाज नहीं होगा. रोगी का पहचान पत्र मांगा जाएगा. अगर रोगी बंगाल का निवासी नहीं है तो अस्पताल वाले उसका मुफ्त इलाज नहीं करेंगे. ऐसे लोगों को तो प्राइवेट में इलाज कराना होगा. जहां पैसा लगता है. सरकारी अस्पतालों में इलाज के लिए रोगी से पैसा नहीं लिया जाता है.
नए साल 2024 से यह गाइडलाइंस जारी किया जाने वाला है. इस साल से पश्चिम बंगाल के किसी भी सरकारी अस्पताल में इलाज करने के लिए बंगाल से बाहर के रोगियों को पैसे का भुगतान करना होगा. राज्य सरकार का स्वास्थ्य विभाग तो इस तरह का निर्णय बहुत पहले ही कर चुका था. परंतु उसे लागू नहीं किया गया था. लेकिन इस साल से उसे लागू करने की तैयारी है. सूत्रों ने बताया कि स्वास्थ्य विभाग जल्द ही गाइडलाइंस जारी कर सकता है.
हालांकि राज्य सरकार की ओर से अभी तक कोई अधिकृत सूचना या घोषणा जारी नहीं की गई है. राज्य स्वास्थ्य विभाग की ओर से कहा जा रहा है कि ऐसा करने से राज्य के अस्पतालों पर दबाव कम होगा.राज्य के लोगों के लिए बेहतर चिकित्सा सुविधा उपलब्ध हो सकेगी. सरकारी अस्पतालों में भीड़भाड़ भी नहीं होगी. क्योंकि देखा जाता है कि अस्पताल की लाइनों में दूसरे प्रदेश के रोगी भी लग जाते हैं. यहां बिहार, झारखंड, असम तथा सिक्किम आदि राज्यों से काफी संख्या में रोगी इलाज के लिए आते हैं. इन रोगियों के चलते अस्पताल पर दबाव और खर्च भी बढ़ जाता है.
उत्तर बंगाल मेडिकल कॉलेज अस्पताल अथवा सिलीगुड़ी जिला अस्पताल में यह नजारा आमतौर पर देखा जाता है. मिली जानकारी के अनुसार अब बंगाल से बाहर के दूसरे राज्यों से आने वाले रोगियों का सरकारी अस्पतालों में मुफ्त इलाज नहीं होगा. यहां केवल बंगाल के रोगियों का ही मुफ्त इलाज होगा. ऐसे लोगों को बंगाल का निवासी होने का प्रमाण पत्र जैसे वोटर कार्ड, आधार कार्ड अथवा स्वास्थ्य साथी कार्ड दिखाना अनिवार्य होगा. तभी उनका मुफ्त इलाज हो सकेगा. राज्य सरकार ने अभी तक कोई गाइडलाइन जारी नहीं किया है. लेकिन अगर ऐसा होता है तो कई तरह की समस्याएं भी खड़ी हो जाएंगी. अभी तक तो बंगाल समेत देश भर के सरकारी अस्पतालों में इलाज के लिए आने वाले रोगियों का पहचान पत्र किसी भी राज्य का हो, उनका मुफ्त इलाज करने से अस्पताल प्रशासन मना नहीं कर सकता.
लेकिन अगर बंगाल में ऐसा नियम लागू किया जाता है तो इसका असर पड़ोसी राज्यों और देश के सभी भागों पर पड़ना तय है. अब देखना है कि पश्चिम बंगाल सरकार और राज्य स्वास्थ्य विभाग परिणाम की समीक्षा करते हुए क्या निर्णय लेते है या फिर पहले की तरह इस तरह के निर्णय को लागू करने से रोक दिया जाएगा?