सिलीगुड़ी नगर निगम ने हाल ही में शहर में यात्रियों की सुविधा के लिए दो मिनी बसें चलाई हैं. आने वाले समय में कुछ और सरकारी बसें चलाई जा सकती हैं. दूसरी तरफ शहर में पहले से ही चल रहे सिटी आटो, टोटो और टेंपो जैसी गाड़ियां इन दिनों काफी परेशानी का सामना कर रही हैं. उनके चालक बताते हैं कि प्रतिदिन की कमाई काफी घट गई है. क्योंकि बाजार में लोग ही नहीं हैं.
चालकों का कहना है कि गाड़ियों का इंश्योरेंस, सालाना टैक्स, इंस्टॉलमेंट आदि काटकर कुछ भी नहीं बचता है. रोजाना ₹500 से लेकर ₹700 तक कमाई करने वाले इन चालकों की हालत ऐसी है कि सारे खर्चे काट कर उनकी जेब में फूटी कौड़ी तक नहीं बचती है. फुलवारी से सालुगरा के लिए सुबह 6:00 बजे से ही सिलीगुड़ी की सड़कों पर सिटी ऑटो दौड़ने लगते हैं. हर 5 मिनट पर सिटी ऑटो को आप सड़क पर जाते हुए देख सकते हैं. इन गाड़ियों का रूट फुलबारी, उत्तर कन्या, तीनबती, नौका घाट ,जलपाई मोड, एस एफ रोड, थाना मोड, हाशमी चौक, विधान मार्केट, पानी टंकी मोड होते हुए सेवक रोड, पायल सिनेमा,विशाल सिनेमा, मित्तल बस स्टैंड, चेक पोस्ट होते हुए सालूगाडा तक है.
बुधवार को जलपाई मोड़ से विद्या प्रसाद चेक पोस्ट जाने के लिए एक सिटी ऑटो में बैठे. सिटी ऑटो में अकेले वही यात्री थे. उन्हें मित्तल बस स्टैंड में मैटिली जाने के लिए बस पकड़ना था. वह सोच रहे थे कि जब तक सिटी ऑटो भरेगा नहीं, चालक गाड़ी खड़ी रखेगा. 5 मिनट इंतजार करने के बाद विद्या प्रसाद गाड़ी से उतरने लगे तो चालक ने कहा कि आप बैठ जाइए. गाड़ी स्टार्ट करता हूं. विद्या प्रसाद ने बताया कि चेक पोस्ट तक सिटी ऑटो में मुश्किल से दो सवारी ही थे. सिटी ऑटो के चालक आंखें फाड़ फाड़ कर सवारी को देखते रहते हैं. अगर किसी ने हाथ का इशारा कर दिया तो उन्हें काफी खुशी होती है कि कम से कम एक भाड़ा तो मिल गया.
यही हाल टोटो और टेंपो जैसी गाड़ियों का भी है. सुबह से ही सड़कों पर दौड़ने वाली इन गाड़ियों में पैसेंजर नदारद है. लेकिन फिर भी इस उम्मीद में यह गाड़ियां चलाते रहते हैं कि कम से कम रोजाना के उनके खर्चे तो निकल जाएंगे. लेकिन हालात यह है कि मौजूदा समय में हफ्ते में एक-दो दिन ही उनके अच्छे गुजर रहे हैं, जब उनकी गाड़ियों में सीट के माफिक यात्री भरे रहते हैं. बाकी दिन वे परेशान रहते हैं. एक सिटी ऑटो के मालिक और चालक शिवाली दास ने बताया कि कभी-कभी तो ऐसा होता है कि जलपाई मोड़ से चेक पोस्ट तक ₹100 भी कमाई नहीं होती जबकि तेल इससे भी ज्यादा जल जाता है. ऐसे में आप बताइए कि गाड़ी चलाने से क्या लाभ!
लेकिन फिर भी वह गाड़ी चला रहे हैं. क्योंकि उन्हें हर समय यही उम्मीद रहती है कि अगले मोड़ पर यात्री गाड़ी का इंतजार करते मिलेंगे. 2 दिन पहले एक सिटी ऑटो के चालक से गाड़ी में मौजूद कुछ यात्रियों की कहा सुनी हो गई थी. कारण कि सिटी ऑटो के चालक ने सड़क के किनारे अपनी गाड़ी रोककर उस यात्री का कम से कम 10 मिनट तक इंतजार किया था, जो एक ढाबे में कुछ खा रहा था. जब वह खा चुका, तब गाड़ी में चढ़ा. उसके खाने तक सिटी ऑटो रुका रहा. इस पर यात्रियों को भी गुस्सा आया था. खैर, बाद में मामला शांत हो गया.
फूलबारी से चलने वाले सिटी ऑटो विधान मार्केट में जगह-जगह अपनी गाड़ी लगाकर यात्रियों का इंतजार करते रहते हैं. उनकी नजर खासकर सालूगाड़ा जाने वाले यात्रियों पर टिकी रहती है. विधान मार्केट से सालूगाड़ा तक का किराया ₹20 है. जबकि चेक पोस्ट तक के यात्री महज ₹10 ही भाड़ा देते हैं. सालूगाड़ा से काफी संख्या में लोग विधान मार्केट में खरीदारी करने के लिए आते हैं. सिटी ऑटो की नजर ऐसे ही यात्रियों पर रहती है. कम से कम 10 से 20 मिनट तक सिटी ऑटो विधान मार्केट में जगह-जगह रुके रहते हैं. विधान मार्केट में केवल फुलबारी वाली गाड़ियां ही नहीं, बल्कि एनजेपी से आने वाले सिटी आटो और हाशमी चौक ऑटो स्टैंड सिंडिकेट की गाड़ियां भी सालूगाड़ा तक जाती हैं. उन्हें भी यात्रियों का देर तक इंतजार करना पड़ता है.
एक सिटी ऑटो चालक ने बताया कि हम ज्यादा समय तक यात्री का इंतजार नहीं कर सकते. क्योंकि हमारा समय भी निर्धारित होता है.अगर यात्री मिल गया तो ठीक है अन्यथा खाली गाड़ी ही ले जानी पड़ती है. अगर सुबह शाम की बात ना करें तो दोपहर में अधिकांश सिटी ऑटो, टोटो और टेंपो जैसी गाड़ियों में यात्री होते ही नहीं या मुश्किल से दो-चार ही होते हैं. कभी-कभी तो इंतजार के बावजूद भी सवारी नहीं मिलने पर उन्हें खाली ही गाड़ियां आगे बढ़ानी पड़ती है. कभी-कभी तो चालक गाड़ी में सवार व्यक्ति से पूछ लेते हैं कि उन्हें जाना कहां है. अगर नजदीक का यात्री होगा तो उनकी यही कोशिश होती है कि गाड़ी को आगे ले जाने के बजाय चेक पोस्ट से ही घूमा लें.
एक तरफ जहां सिलीगुड़ी में यात्री गाड़ियों की भरमार है और इन गाड़ियों को यात्री नहीं मिल रहे हैं तो दूसरी तरफ सिलीगुड़ी नगर निगम प्रशासन द्वारा शहर में सरकारी सवारी गाड़ियां चलाई जा रही हैं. यह गाड़ियां भी एनजेपी से खुल रही हैं और सालूगाड़ा तक जाती है. फिलहाल दो सवारी गाड़ियां चल रही है. सिलीगुड़ी नगर निगम के मेयर ने कहा है कि जल्द ही और भी कई सरकारी गाड़ियां सिलीगुड़ी की सड़कों पर उतारी जाएंगी. प्रशासन के इस फैसले पर चुटकी लेते हुए एक चालक ने कहा कि जब हमारी गाड़ी में भी तेल का खर्च नहीं निकल पाता है, तो ऐसे में प्रशासन गाड़ियों के तेल का खर्च कब तक वहन करता रहेगा. इसका अंजाम तो वही होगा जब 2016-17 में सरकारी मिनी बस का हुआ था. प्रशासन खुद ब खुद इन गाड़ियों को बंद कर देगा.
क्या सिंडिकेट भी सरकारी गाड़ियों को बंद करने का दबाव डालेगा? इसके जवाब में प्रेमदास नामक एक सिटी ऑटो चालक ने बताया कि सिंडिकेट को यूं ही बदनाम किया जाता है. जबकि सच यह है कि प्रशासन का यह फैसला होता है. उन्होंने कहा कि अभी लोकसभा का चुनाव है. ऐसे में सिलीगुड़ी नगर निगम जनता को लुभाने के लिए ऐसे फैसले करता है. फिर जब चुनाव बीत जाएगा तो गाड़ियां भी नदारद हो जाएंगी. बहरहाल मौजूदा समय में सिटी ऑटो चालकों को सवारियां नहीं मिल रही है. खासकर दोपहर के समय में. और इसीलिए वह परेशान हैं. गाड़ी चलाना उनकी मजबूरी है. हर दिन वह इसी उम्मीद में रहते हैं कि आज कमाई होगी. इसी कमाई से उनके घर के खर्चे चलते हैं. इंश्योरेंस और इंस्टॉलमेंट का पैसा भरना पड़ता है. अगर गाड़ी नहीं चलाएं तो उनके बच्चों की पढ़ाई कैसे होगी? यह भी एक बड़ा सवाल है!
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