सिलीगुड़ी को चिकन नेक कहा जाता है. यह क्षेत्र और दार्जिलिंग पहाड़, तराई और Dooars चार अंतर्राष्ट्रीय देशों नेपाल, भूटान, बांग्लादेश और चीन से लगा हुआ है. सिलीगुड़ी और संलग्न क्षेत्रों में उद्योग धंधों के नाम पर केवल चाय बागान है. यहां कल कारखाने तो नहीं है, परंतु चाय बागान यहां बहुतायत है. परंतु हाल स्थिति यह है कि यहां एक-एक करके चाय बागान बंद हो रहे हैं. जिसके कारण नौजवानों के समक्ष रोजी-रोटी का संकट बढ़ गया है. यहां चाय बागानों में काम करने वाले श्रमिक बागान बंद होने के बाद अब दूसरे राज्यों में रोजी-रोटी की तलाश में पलायन कर रहे हैं.
आज दार्जिलिंग के भाजपा सांसद और राष्ट्रीय भाजपा प्रवक्ता राजू बिष्ट ने भी संसद में यह मुद्दा उठाया. उन्होंने राज्य की मौजूदा सरकार तृणमूल कांग्रेस पर हमला बोलते हुए कहा कि राज्य सरकार की दुर्नीति और अनियमितता के चलते इन क्षेत्रों में स्थित चाय बागान एक-एक करके बंद होते जा रहे हैं. लोग असुरक्षित महसूस कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि अंतर्राष्ट्रीय सीमा से लगा यह इलाका काफी महत्वपूर्ण है. लेकिन यहां निवास करने वाले लोग विभिन्न कारणों से परेशान हैं. राज्य सरकार की वोट बैंक की नीति ने यहां रहने वाले गोरखा, राजवंशी, आदिवासी, कोच, मेचे, टोटो, राभा ,बंगाली, हिंदी भाषा इत्यादि सभी जातियों एव वर्गों में बांट दिया है.
राजू बिष्ट ने कहा कि इन क्षेत्रों के लोग संवैधानिक अधिकारों से वंचित है और न्याय की गुहार लगा रहे हैं. उन्होंने जोर देकर कहा कि केंद्र सरकार की ओर से इन क्षेत्रों के विकास के लिए नियमित रूप से धन भेजा जाता रहा है. लेकिन धरातल पर कोई काम नहीं हो रहा है.उन्होंने कहा कि यहां के लोगों की भाषा, संस्कृति, इतिहास, परंपरा और वजूद का खतरा लगातार बढ़ रहा है. लोग चाहते हैं कि केंद्र सरकार उनके संवैधानिक अधिकारों की रक्षा करे तथा उसका संवैधानिक तरीके से समाधान भी ढूंढे.
संसद में बोलते हुए राजू बिष्ट ने कहा कि सिलीगुड़ी और आसपास के क्षेत्र में कई ऐसे गांव बस गए हैं, जिन्हें मिनी पाकिस्तान कहा जाता है. ये इलाके इतने संवेदनशील है कि आए दिन इन इलाकों में आपराधिक वारदातें सामने आती हैं. राज्य सरकार मौन है और वोट बैंक के चलते यहां के लोगों की सुरक्षा को खतरे में डाल दिया है. उन्होंने केंद्र सरकार से मांग की है कि सिलीगुड़ी और आसपास के क्षेत्रो में रहने वाले लोगों को राज्य सरकार की धमकी और असुरक्षा से मुक्त किया जाए.
इसमें कोई शक नहीं कि यहां के कई चाय बागान बंद हो चुके हैं और उनके खुलने के भी आसार नहीं है, जिसके कारण यहां से मजदूरों का पलायन जारी है.अलीपुरद्वार जिले में पांच चाय बागान बंद है. इन क्षेत्रों के मजदूर काम की तलाश में तमिलनाडु, केरल, राजस्थान, कश्मीर और अन्य दक्षिण भारतीय राज्यों में पलायन कर रहे हैं. रेल गाड़ियों में जाते हुए इन मजदूरों को आप देख सकते हैं. सांसद राजू बिष्ट ने चाय बागानों में काम करने वाले वाले और अब बेरोजगार हो चुके मजदूरों की असुरक्षा की ओर सरकार का ध्यान आकृष्ट किया है. विदित हो कि राजू बिष्ट समय-समय पर पहाड़, तराई और ड्वॉर्स क्षेत्र की लोगों की समस्याएं उठाते रहे हैं.