साधु संन्यासी आश्रम में लौट चुके हैं.धीरे-धीरे वे उसे हादसे को भूलने की कोशिश कर रहे हैं, जब रविवार को एक तेज झंझावात का झोंका आया था, जिसने संन्यासी और संन्यासियों की जिंदगी में उथल-पुथल मचा दिया था. पुलिस ने कल ही सेवक का ताला संन्यासियों के रहने के लिए खोल दिया था.
आज आश्रम में स्वामी प्रेमानंद से मिलने सिलीगुड़ी नगर निगम के मेयर गौतम देव, डिप्टी मेयर रंजन सरकार समेत विभिन्न वार्डों के पार्षद और अन्य अधिकारी पहुंचे. गौतम देव ने सेवक हाउस जमीन की होल्डिंग और म्यूटेशन के कागजात स्वामी प्रेमानंद को सौंप दिए. ये कुछ दिन साधुओं पर बहुत कठिनाई से गुजरे हैं. साधुओं ने एक बार फिर से यह साबित कर दिया कि उनका जीवन लोक कल्याण के लिए होता है. साधु जरूरत पड़ने पर अपने धर्म की रक्षा के लिए विष भी पी लेते हैं. लेकिन उफ तक नहीं करते. यह उनका धैर्य होता है और सत्य के प्रति विश्वास.
रामकृष्ण मिशन आश्रम के साधुओं के सत्य और विश्वास की जीत हुई है. मेयर गौतम देव ने आश्रम के साधुओं के साथ प्रसन्न मुद्रा में कुछ बातें की. स्वामी प्रेमानंद महाराज गौतम देव और उनकी पूरी टीम के साथ नजर आए. उन्होंने गौतम देव और सिलीगुड़ी नगर निगम की पूरी टीम का अपने आश्रम में स्वागत भी किया.
राजनीतिक विश्लेषक इस घटना के राजनीतिक मायने ढूंढ रहे हैं. पर सवाल साधु संन्यासियों की सुरक्षा से जुड़ा है. रविवार की घटना एक दु:स्वप्न की तरह थी. यह ऐसी घटना थी कि इसकी चर्चा केवल सिलीगुड़ी के स्तर पर ही नहीं, बल्कि पूरे बंगाल और देश में गूंजती रही. एक राजनीतिक चुनाव सभा को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी इस घटना की तीव्र निंदा की थी. स्वामी प्रेमानंद उस घटना को याद करते हुए कहते हैं कि अभी पूरी तरह डर का माहौल उनके दिमाग से नहीं गया है. फिर ऐसी घटना ना हो, इसलिए पुलिस को उनकी सुरक्षा का विश्वास जगाना होगा.
19 मई अर्थात रविवार वाली घटना में पुलिस ने अभी तक केवल पांच लोगों की ही गिरफ्तारी की है. जबकि घटना का असली गुनहगार अभी तक फरार है. स्वामी प्रेमानंद को लगता है कि पुलिस अपना काम जिम्मेदारी पूर्वक करेगी और घटना के दोषियों को गिरफ्तार करके उन्हें उचित सजा दिलवाने का प्रबंध करेगी. रामकृष्ण मिशन आश्रम कांड से कई सच निकल कर बाहर आए हैं. आरंभ में पुलिस ने सेवक आश्रम पर ताला लगा दिया. जांच के संदर्भ में पुलिस की भूमिका पर भी सवाल उठे.
यह अच्छा हुआ कि समय रहते सब कुछ ठीक कर लिया गया है. अन्यथा इस घटना के विरोध में चर्चा यह भी है कि साधु संन्यासी कोलकाता की सड़कों पर पैदल मार्च करने वाले हैं. उससे पहले ही सब कुछ ठीक कर लिया गया है. ऐसा प्रतीत हो रहा है. गौतम देव ने भी कुछ ऐसा ही संकेत दिया है. उन्होंने कहा है कि मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के निर्देश के अनुसार ही उन्होंने स्वयं कानूनी प्रक्रिया पूरी करके कागजात तैयार करवाए और आश्रम को सौंप दिए.
स्वामी प्रेमानंद ने अपने आश्रम में मेयर के आने पर खुशी जाहिर की है.अब देखना होगा कि राजनीतिक स्तर पर क्या यह विवाद यहीं समाप्त हो जाता है या फिर कुछ और. यह भी देखना होगा कि आज की इस घटना के बाद क्या साधु संन्यासी अपनी पूर्व निर्धारित योजना के अनुसार सरकार के विरुद्ध अपनी रणनीति को अंजाम देंगे या नहीं.या फिर यहीं इस कहानी का The एंड लग जाता है.
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