सिलीगुड़ी के रेगुलेटेड मार्केट में जाने से ऐसा लगता है, जैसे हम किसी अजायबघर में आ गए हैं! मवेशी, कुत्ते, घास पात, जगह-जगह गंदगी का आलम, कूड़े का ढेर, उजड़ी दुकानें, जल जमाव, कीचड़ पानी में मच्छर भिनभिना रहे हैं तो कहीं कुछ लड़के बैठे नशा आदि कर रहे हैं. यानी अव्यवस्था, गंदगी और सड़ांध यही सब कुछ सिलीगुड़ी रेगुलेटेड मार्केट की पहचान बन गई है.
इस मार्केट को देखकर आप कल्पना भी नहीं कर सकते हैं कि इसका कोई भविष्य है.पर ऐसा नहीं है. क्योंकि वह कहावत तो आपने सुनी ही होगी कि 12 साल में घुरे के भी दिन फिर जाते हैं. सिलीगुड़ी रेगुलेटेड मार्केट का भी दिन फिरने जा रहा है. सूत्र बता रहे हैं कि सिलीगुड़ी रेगुलेटेड मार्केट अंतरराष्ट्रीय स्तर का मार्केट बनने जा रहा है. यानी देश में ही नहीं, बल्कि विदेशो में भी इस मार्केट की चर्चा की जाएगी. सब कुछ ऐसे होगा, जैसे एनजेपी स्टेशन या बागडोगरा एयरपोर्ट का कायाकल्प हो रहा है, ठीक कुछ ऐसा ही सिलीगुड़ी रेगुलेटेड मार्केट के बारे में योजना बनाई जा रही है.
सिलीगुड़ी की पहचान रेगुलेटेड मार्केट एक ऐसा मार्केट है, जहां सिक्किम, दार्जिलिंग, कालिमपोंग, माल बाजार, Dooars और दूर-दूर से व्यापारी माल बेचने और खरीदने आते हैं. यहीं से पहाड़ और पड़ोसी देशों जैसे भूटान, नेपाल, बांग्लादेश आदि को भी माल ट्रकों में भरकर भेजा जाता है. 1983 में सिलीगुड़ी रेगुलेटेड मार्केट की आधारशिला रखी गई थी. तब से यह मार्केट अपने भविष्य के लिए किसी मजबूत कंधे की तलाश कर रहा है.
ऐसा नहीं है कि 1983 के बाद इस मार्केट का कोई विकास ही नहीं हुआ है. लेकिन जो विकास हुआ है, वह केवल स्वाभाविक है. इसमें ना तो शासन का और ना ही किसी इंजीनियर का दखल है. बेतरतीब ढंग से विकास हुआ है. जिसको जैसा ठीक लगा, उसी के हिसाब से मार्केट का विस्तार कर लिया. यही कारण है कि इस मार्केट की कई समस्याएं मुंह बाए खड़ी है. इनमें जल निकासी की व्यवस्था नहीं है. बरसात के दिनों में दुकानों में पानी घुस जाता है.
सिलीगुड़ी रेगुलेटेड मार्केट में रोजाना 20000 लोग आते जाते हैं. मार्केट में सुलभ शौचालय की भी कमी है. सबसे बड़ी समस्या तो यहां कचरा जमने की है. खैर देर से ही सही राज्य सरकार और स्थानीय प्रशासन ने रेगुलेटेड मार्केट का विकास करने का फैसला किया है. पश्चिम बंगाल सरकार में कृषि विकास मंत्री बेचाराम मन्ना की नजर इस पर पड़ी है. पिछले दिनों मंत्री महोदय ने इसके विकास को लेकर सिलीगुड़ी नगर निगम के मेयर गौतम देव, डिप्टी मेयर रंजन सरकार और प्रशासनिक अधिकारियों के साथ एक बैठक की. इस बैठक में रेगुलेटेड मार्केट के सचिव तमाल दास, सिलीगुड़ी रेगुलेटेड मार्केट होलसेल मर्चेंट एसोसिएशन के प्रतिनिधि भी उपस्थित थे.
सूत्रों ने बताया कि एक मसौदा बनाया जा रहा है. सरस्वती पूजा के बाद इस पर विचार किया जाएगा. सभी पक्षो को लेकर वार्ता की जाएगी. उसके पश्चात योजना को पारित किया जाएगा. जानकारी मिली है कि सिलीगुड़ी नगर निगम प्रशासन रेगुलेटेड मार्केट में सुलभ शौचालय के साथ-साथ यहां जमा कचरो से कृषि फार्मा ग्रुप के द्वारा जैव उर्वरक का निर्माण करेगा. इससे किसानों को काफी फायदा होगा.
यह भी जानकारी मिली है कि पुरानी हो चुकी बिल्डिंगों का जीर्णोद्धार किया जाएगा. कुछ दुकान और बिल्डिंग ऐसी हैं जो कभी भी यहां दुर्घटनाग्रस्त हो सकती हैं. उन्हें गिराया जा सकता है. सिलीगुड़ी रेगुलेटेड मार्केट में बरसात के दिनों में पानी का जम जाना एक बहुत बड़ी समस्या है. इसलिए सरकार और निगम प्रशासन निकासी व्यवस्था पर भी योजना बना रहे है. रेगुलेटेड मार्केट के एक तरफ पंचनई नदी बहती है तो दूसरी तरफ महानंदा नदी है. यह 46 नंबर वार्ड से भी जुड़ा है. इसलिए एक मास्टर प्लान तैयार किया जा रहा है. ताकि इस मार्केट का सुव्यवस्थित तरीके से विकास किया जा सके. साथ ही निकासी की व्यवस्था को दुरुस्त किया जा सके.
सिलीगुड़ी नगर निगम प्रशासन चाहता है कि जल निकासी की व्यवस्था उन्नत हो सके. सभी तरह का पानी नदियों में गिरे. सूत्रों ने बताया कि यह सारा काम बरसात से पहले ही हो जाएगा. आवश्यकता पड़ने पर यहां ड्रेन भी बनाए जाएंगे. इस तरह से एक मास्टर प्लान तैयार किया जा रहा है. परंतु यह देखना होगा कि कृषि विकास मंत्री और सिलीगुड़ी नगर निगम प्रशासन क्या वाकई इसके लिए गंभीर है. सरकार की कथनी और करनी में कोई अंतर तो नहीं है? कहीं ऐसा तो नहीं है कि चुनाव से पहले वोट बैंक के लिए यह घोषणा मात्र है?