December 18, 2024
Sevoke Road, Siliguri
उत्तर बंगाल लाइफस्टाइल सिलीगुड़ी

फूलबाड़ी के लोग रहते बांग्लादेश में, खेती करते हैं भारत में!

बांग्लादेश में अंतरिम सरकार का गठन भले ही हो चुका है. परंतु इससे बांग्लादेशी नागरिकों की समस्याओं का अभी तक समाधान नहीं हुआ है. वहां के अल्पसंख्यक समुदाय भारत की तरफ टकटकी नजरों से देख रहे हैं. फिलहाल भारत बांग्लादेश सीमा पर उन्हें रोक कर रखा गया है. बांग्लादेश में राजनीतिक घटनाक्रम के बाद अब ऐसे लोगों की भी समस्या बढ़ गई है, जो रहते तो बांग्लादेश या भारत में परंतु उनकी जमीन अथवा जीविका भारत अथवा बांग्लादेश में है.बॉर्डर सिक्योरिटी फोर्स ने उनको भी सीमा पर रोक रखा है.

उत्तर दिनाजपुर जिले के ग्वाल पोखर स्थित भारत बांग्लादेश सीमा पर कटीले तारों की बाड़ के उस पार बसे फुलबारी गांव के लोग कम से कम ऐसे हालात में जी रहे हैं जो अपनी जमीन पर भी नहीं जा सकते. क्योंकि उनकी जमीन सीमा पार है. हालांकि बीएसएफ के जवान उनके सहयोग और समर्थन के लिए हमेशा तैयार रहते हैं. पर इन दोनों ऊपरी दबाव के चलते बीएसएफ सीमा पर पूरे अलर्ट पर है. शाम होते ही फुलबारी गांव का इलाका वीरान हो जाता है.

फूलबाड़ी में लगभग 100 परिवार रहते हैं. बेहद गरीब लोग हैं जो मिट्टी और जूट की दीवारों और टीन की छत के नीचे रहते हैं. इस गांव के लोग खेती-बाड़ी करते हैं. उनकी जमीन सीमा पार है. यहां बाजार भी है. स्कूल और स्वास्थ्य केंद्र भी है. आंगनवाड़ी भी है. लेकिन सीमा पार है, जहां फिलहाल वे जा नहीं सकते. बांग्लादेश की सीमा उत्तर दिनाजपुर के 227 किलोमीटर तक फैली हुई है. सीमा पार कटीले तारों की बाड़ लगाई गई है.

कुछ भारतीय गांव सीमा पार चले गए जबकि कुछ चाय बागान, कृषि भूमि सीमा के इस पार रह गए. बाड़ लगाने के समय कुछ लोगों को एक तरफ लाया गया तो कुछ लोगों को दूसरी तरफ ले जाया गया. ग्वाल पोखर का यह गांव बाड़ के दूसरी तरफ ही रह गया. इसी गांव का मंटू मियां बताता है कि बीएसएफ की अनुमति से वह सुबह 7:00 बजे से लेकर शाम 5:00 बजे तक भारत में रहता है. उसके बाद वापस बांग्लादेश में चला जाता है. लेकिन इन दिनों सीमा पर सख्ती के कारण यह बंद कर दिया गया है.

हसन मियां ने बताया कि बांग्लादेश में ताजा हालात के बाद उनकी आजीविका प्रभावित हो रही है. इसी गांव में अख्तर रहता है जो बांग्लादेश में ताजा हालात के बाद काफी परेशान है. इस गांव में रहने वाले शकील, अनवर जैसे लोग भी हैं जो कटीले बाड़ के दूसरी तरफ रहते हैं. लेकिन उनकी रोजी-रोटी सीमा पार से होती है. वे भारतीय हैं. लेकिन गुलाम की तरह की जिंदगी जी रहे हैं. सीमा पर बसे अनेक गांवों की यही कहानी है, जहां के लोग ना आजाद हैं ना गुलाम. बस किसी तरह उनकी जिंदगी चल रही है.

(अस्वीकरण : सभी फ़ोटो सिर्फ खबर में दिए जा रहे तथ्यों को सांकेतिक रूप से दर्शाने के लिए दिए गए है । इन फोटोज का इस खबर से कोई संबंध नहीं है। सभी फोटोज इंटरनेट से लिये गए है।)

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