2019 के लोकसभा चुनाव में भाजपा के संकल्प पत्र में दार्जिलिंग पहाड़ के लिए जो घोषणा पत्र जारी किया गया था, उसमें यह बात कही गई थी कि अगर भाजपा सत्ता में आती है तो पहाड़ में स्थाई राजनीतिक समस्या और 11 जनजातियों के पुराने मुद्दे का समाधान किया जाएगा. भाजपा ने अपने संकल्प पत्र का काम पूरा किया या नहीं, इससे ज्यादा महत्वपूर्ण आलोचकों और पहाड़ के क्षेत्रीय दलों के नेता और संगठनों का कहना है कि भाजपा ने अपना संकल्प पत्र पूरा ही नहीं किया. इसलिए 2024 के लोकसभा चुनाव में पहाड़ की जनता भाजपा को वोट नहीं करेगी.
दार्जिलिंग से भाजपा के सांसद हैं राजू बिष्ट. सूत्र बता रहे हैं कि राजू बिष्ट ने पहाड़ में चल रही राजनीतिक गहमागहमी की जानकारी शीर्ष नेताओं तक पहुंचा दी है. भाजपा का शीर्ष नेतृत्व इस पर रणनीति तैयार कर रहा है. अंजाम क्या होगा, यह तो कोई नहीं जानता. परंतु इस दौरान सिक्किम के मुख्यमंत्री प्रेम सिंह तमांग की नई दिल्ली में गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात और राज्य की ओर से गृह मंत्री को ज्ञापन सौंपा जाना सुर्खियों में है. पहाड़ में इसकी चर्चा शुरू हो गई है.
सिक्किम के मुख्यमंत्री प्रेम सिंह तमांग ने गृह मंत्री को जो ज्ञापन सौंपा है, उसका मजमून वही है, जो भाजपा के संकल्प पत्र में है और दार्जिलिंग पहाड़ से किया गया था. सिक्किम में भी यह मामला लंबित है. सिक्किम सरकार भी चाहती है कि इस लंबित राजनीतिक मुद्दे का स्थाई समाधान हो सके और इसीलिए प्रेम सिंह तमांग गृह मंत्री अमित शाह से मिलने नई दिल्ली गए. उनके साथ सिक्किम में जनजाति की मान्यता से वंचित 12 समुदाय और लिंबू तमांग समुदाय के लगभग 40 प्रतिनिधिमंडल भी गए हैं.
मुख्यमंत्री प्रेम सिंह तमांग ने राज्य सरकार की ओर से एक ज्ञापन सौंपा है, जिसमें उन्होंने सिक्किम के 12 समुदाय की जनजाति स्थिति और सिक्किम विधानसभा में लिंबू तमांग सीट आरक्षण के ऐतिहासिक महत्व की बात कही है.इस ज्ञापन में जनजाति मान्यता से वंचित समुदायों के प्रतिनिधियों ने अलग-अलग ज्ञापन दिया है. सिक्किम के 12 समुदाय को जनजाति की मान्यता दिलाने की मांग कई सालों से हो रही है. इन जातियों में राई, गुरुंग, मगर,जोगी ,थामी ,गिरी ,सन्यासी ,दीवान ,माझी, सुनवार, भूजेल, नेवार और खस समुदाय के लोग शामिल हैं.
दार्जिलिंग पहाड़ ,Dooars और तराई में भी कुछ ऐसी ही स्थिति है. बरसों से जनजातीय लोग अपनी पहचान का इंतजार कर रहे हैं. इसके लिए समय-समय पर आंदोलन भी हुआ है. राजनीतिक दलों के नेता चुनाव के समय इस मुद्दे को जोर-शोर से उठाते हैं और पहाड़ की जनता में भुनाते रहे हैं. अब दार्जिलिंग पहाड़ से यह मुद्दा सिक्किम तक व्याप्त हो चुका है. ऐसे में पहाड़ में 11 जनजाति वाले मुद्दे को अब एक नया बल मिल गया है.
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने मामले की गहन छानबीन का आश्वासन मुख्यमंत्री प्रेम सिंह तमांग को दिया है और जल्दी ही इस पर पत्राचार करने की जानकारी दी है. कुल मिलाकर प्रेम सिंह तमांग गृह मंत्री के बयान और उनके अंदाज से संतुष्ट नजर आते हैं. केंद्र सरकार पर जनजातीय मुद्दे का दबाव बढ़ चुका है. यह भाजपा के संकल्प पत्र में भी है. ऐसे में यह उम्मीद की जा सकती है कि भाजपा अगले लोकसभा चुनाव से पहले इस दिशा में कोई ठोस पहल कर सकती है. इससे भाजपा को न केवल दार्जिलिंग में ही बल्कि सिक्किम में भी काफी लाभ हो सकता है.
बताते चलें कि सिक्किम के मुख्यमंत्री प्रेम सिंह तमांग के नेतृत्व में प्रतिनिधि मंडल ने पहले केंद्रीय जनजाति मामलों के मंत्री अर्जुन मुंडा से उनके आवास पर मुलाकात की थी. उसके बाद उन्होंने केंद्रीय गृह मंत्री से मुलाकात की. प्रतिनिधिमंडल के सदस्यों में सिक्किम विधानसभा अध्यक्ष अरुण उप्रेती, राज्य कैबिनेट मंत्री बी एस प॔त, संजीत खरेल, भीम सुब्बा, सिक्किम के लोकसभा सांसद आई सुब्बा, सिक्किम के 12 जनजाति समुदाय के प्रतिनिधि और लिंबू तमांग समुदाय के प्रतिनिधि शामिल थे.