आमतौर पर पुलिस जनता की रक्षा करने के लिए होती है. लेकिन जब जनता की रक्षक पुलिस जनता पर ही अत्याचार करने लगे तो ऐसे में जनता किसके पास जाएगी! कुछ ऐसा ही नजारा उत्तर दिनाजपुर जिला के चोपड़ा ब्लॉक स्थित आदिवासी बस्ती में देखने को मिला है. जब लुटे पिटे तथा लैंड माफिया की गोलियों के शिकार आदिवासी महिलाओं और पुरुषों ने दार्जिलिंग के भाजपा सांसद और प्रवक्ता राजू बिष्ट को अपना दुखड़ा सुनाया तो राजू बिष्ट भी अपने दर्द और भड़ास को छिपा न सके.
उत्तर दिनाजपुर जिला के अंतर्गत चोपड़ा ब्लॉक है. वहां प्यारेलाल टी स्टेट में अनेक आदिवासी श्रमिक काम करते हैं तथा आदिवासियों के लिए बनाई गई बस्ती में सालों से रहते आ रहे हैं. वर्तमान में यहां 150 आदिवासी परिवार रह रहे हैं. बताया जा रहा है कि आदिवासियों से बस्ती खाली करने के लिए स्थानीय कुछ असामाजिक तत्व और गुंडे आदिवासियों पर अत्याचार करते हैं और उन्हें विभिन्न तरह से परेशान करते हैं. लेकिन आदिवासी अपनी जमीन और मकान छोड़ने के लिए तैयार नहीं है और ना ही घर बेचना चाहते हैं. यही कारण है कि यहां रहने वाले आदिवासियों पर असामाजिक तत्वों के द्वारा जब तब अत्याचार किए जाते रहे हैं.
स्थानीय आदिवासी स्त्री पुरुषों का आरोप है कि यहां के लैंड माफिया को किसी बड़े टीएमसी नेता का संरक्षण प्राप्त है तथा उक्त नेता के इशारे पर ही लैंड माफिया आदिवासी श्रमिकों को परेशान करते हैं. पिछले दिनों कुछ गुंडो ने आदिवासी बस्ती में घुसकर 12 आदिवासियों के घर जला दिए और 13 लोगों पर गोलियां बरसाते हुए उन्हें गंभीर रूप से जख्मी कर दिया. सभी गंभीर रूप से घायलों का उत्तर बंगाल मेडिकल कॉलेज अस्पताल में इलाज चल रहा है. इस घटना के बाद स्थानीय सांसद राजू बिष्ट आदिवासी बस्ती में पहुंचे तो यहां के स्त्री पुरुषों ने उन्हें अपना दुखड़ा कह सुनाया.
सांसद राजू बिष्ट को बताया गया कि जिस समय लैंड माफिया के गुंडो ने उनके घरों पर गोलीबारी शुरू की थी तो कुछ लोगों ने इसके वीडियो बना लिए. चर्चा है कि यहां के आईसी ने उनसे वीडियो डिलीट करवा लिया और सभी को धमकी दी. सांसद राजू बिष्ट ने आदिवासी बस्ती निरीक्षण के क्रम में एक पुलिस अधिकारी को बुलाया और कहा कि आपने पुलिस की वर्दी पहनी है जनता की रक्षा करने के लिए… इतना बड़ा कांड हो जाता है और पुलिस कुछ नहीं कर पाती. राजू बिष्ट ने आक्रोश में कहा कि आखिर पुलिस गुंडो से क्यों डर रही है. क्या नौकरी खोने का डर है? पुलिस को वर्दी और बंदूक जनता की रक्षा के लिए दी जाती है. पुलिस अपना बंदूक क्यों नहीं उठाती?
उन्होंने पुलिस को अपना धर्म और कर्तव्य का निर्वाह करने की सलाह दी. एक पुलिस अधिकारी को उसका फर्ज और धर्म की याद दिलाते हुए कहा कि अच्छा काम करेंगे तो सरकार आपको पुरस्कृत करेगी. लेकिन अगर किसी मां बहन पर अत्याचार होता है और उनकी आत्मा रोती है तो पुलिस को हाय लगेगी. उन्होंने अधिकारी को सलाह दी कि उन्हें किसी के दबाव में नहीं आना चाहिए. उन्होंने भरोसा दिया कि उन्हें नौकरी की चिंता करने की भी जरूरत नहीं है. बस उन्हें अपना धर्म और कर्तव्य का निर्वाह करना चाहिए.
इस कांड के बाद चोपड़ा के आदिवासी बस्ती में रहने वाले आदिवासी परिवार के स्त्री पुरुष, बच्चे सब आतंकित हैं और घर छोड़ने पर मजबूर हैं. सांसद राजू बिष्ट ने चोपड़ा की दिल दहला देने वाली घटना के बारे में गृह मंत्री अमित शाह को भी पत्र लिखा है. तथा उनसे इस इलाके में केंद्रीय बल भेजने की मांग की है ताकि यहां के आदिवासी परिवारों को सुरक्षा मिल सके.
अपने पत्र में राजू बिष्ट ने लिखा है कि चोपड़ा के तृणमूल विधायक की शह पर यह सारा कांड किया गया है. उन्होंने राज्य सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा कि ममता बनर्जी की सरकार आदिवासियों की सुरक्षा करने में नाकाम रही है. पुलिस के सामने ही आदिवासियों पर गुंडे तत्व गोलियां बरसा कर चले जाते हैं लेकिन यहां का आईसीसी हमलावरों का सबूत मिटाने में जुट जाता है… राजू बिष्ट ने पुलिस की कार्य शैली पर रोष व्यक्त करते हुए पुलिस को डर के साए से बाहर निकलने को कहा.
राजू बिष्ट ने चोपड़ा के आदिवासी स्त्री पुरुषों को हिम्मत बंधाते हुए हुए कहा कि उन्हें डरने की जरूरत नहीं है. उनकी सुरक्षा से लेकर खाना पीना सब की जिम्मेवारी वह खुद लेते हैं और जब तक उनकी घर वापसी नहीं हो जाती, तब तक केंद्र उनकी हर संभव सहायता करता रहेगा.