June 9, 2025
Sevoke Road, Siliguri
राजनीति उत्तर बंगाल सिलीगुड़ी

शंकर मालाकार बनाए गए प्रदेश तृणमूल के वाइस प्रेसिडेंट!

शंकर मालाकार खुद को जरूर खुशकिस्मत मानते होंगे. जुम्मा जुम्मा टीएमसी ज्वाइन किये उन्हें 7 दिन भी नहीं हुआ कि टीएमसी ने उन्हें प्रदेश स्तर का वाइस प्रेसिडेंट बना दिया. शायद कांग्रेस में भी उन्हें इतनी जल्दी तरक्की की सीढ़ियां नहीं मिली होगी. भागम भाग के बीच उन्होंने सिलीगुड़ी में चैन की भी सांस नहीं ली होगी कि पार्टी ने उनका कद काफी ऊंचा बढ़ा दिया. इस संबंध में टीएमसी ने चिट्ठी जारी कर दी है. उनकी इस पदोन्नति से जरूर टीएमसी के कुछ नेताओं को परेशानी हो रही होगी.

राजनीतिक पंडितों के अनुसार मुख्यमंत्री ममता बनर्जी जिस पर मेहरबान हो जाती हैं, तो पूरी तरह मेहरबान हो जाती हैं. कदाचित उन्होंने शंकर मालाकार में जरूर कुछ खास देखा होगा, तभी उन्होंने उनका कद प्रदेश स्तर के टीएमसी के वरिष्ठ नेताओं के कद जैसा कर दिया है. अब तो साफ हो गया है कि शंकर मालाकार सिलीगुड़ी और पूरे उत्तर बंगाल में आगामी विधानसभा चुनाव में टीएमसी का प्रमुख चेहरा होंगे. उन्हें न केवल अपनी सीट निकालनी होगी, बल्कि भाजपा का गढ़ समझे जाने वाले उत्तर बंगाल में टीएमसी को अच्छी खासी जीत दिलानी होगी.

टीएमसी के वाइस प्रेसिडेंट बनाए जाने के साथ ही शंकर मालाकार की जिम्मेदारियां भी बढ़ गई है. जब से वे सिलीगुड़ी आए हैं, तभी से ही टीएमसी के स्थानीय नेताओं और कार्यकर्ताओं से मिलते रहे. उन्होंने कई छोटी बड़ी मीटिंग भी की है. संगठन के स्तर पर व्यापक बदलाव की भी गुंजाइश देखी जा रही है. कुछ लोग शंकर मालाकार को मिशन ममता से भी जोड़कर देख रहे हैं, जो उत्तर बंगाल में भाजपा को पटखनी देने के लिए एक व्यापक रणनीति तैयार कर रही है.

अपनी इसी रणनीति के तहत मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कुछ समय पहले भाजपा के वरिष्ठ नेता जान बारला को अपनी पार्टी में शामिल किया था और अब शंकर मालाकार को अपनी पार्टी का चेहरा बना कर उन्होंने पूरे उत्तर बंगाल में पार्टी का परचम लहराने की तैयारी शुरू कर दी है. शंकर मालाकार और जान वारला, अलीपुरद्वार कूचबिहार से लेकर मालदा तक तृणमूल कांग्रेस की जमीन तैयार करेंगे. अगर जमीनी हकीकत की बात करें तो पिछले विधानसभा चुनाव के वोट प्रतिशत के आंकड़ो पर नजर डालने से पता चलता है कि टीएमसी और भाजपा के बीच कोई ज्यादा फासला नहीं रहा है.

2021 के विधानसभा चुनाव में कूचबिहार में भाजपा को 49.5% और टीएमसी को 44.8% वोट मिले थे. अलीपुरद्वार और जलपाईगुड़ी में भी बीजेपी को क्रमशः 47.7% और 48.01% वोट प्राप्त हुए थे. जबकि टीएमसी को क्रमशः 41.8% और 42.9% वोट मिले थे.उत्तर दिनाजपुर में टीएमसी को 53.3% जबकि भाजपा को 37.5% वोट मिले थे. दक्षिण दिनाजपुर में टीएमसी को 47.02% जबकि भाजपा को 43% वोट मिले थे. इन दो जिलों को छोड़कर बाकी जिलों में टीएमसी भाजपा से पीछे है. लेकिन ज्यादा पीछे नहीं. इस बार ममता बनर्जी की कोशिश होगी कि भाजपा को पछाड़कर टीएमसी शीर्ष पर रहे. इसलिए टीएमसी नए सियासी समीकरणों की तलाश में जुटी हुई है.

अपना सिक्का जमाने और भारतीय जनता पार्टी के वोट बैंक में सेंध लगाने के लिए टीएमसी ने रणनीतिक स्तर पर कई कदम उठाए हैं. चाय बागानों में मजदूर और तराई के आदिवासी समुदायों को साधने की कोशिश में पूर्व वाम मोर्चा सांसद रीतीव्रत बनर्जी को जिम्मेदारी दी है. प्रकाशचिक बराइक को राज्यसभा भेजा गया. वे आदिवासी समुदाय का प्रतिनिधित्व करते हैं. इसके अलावा आदिवासी चेहरा भाजपा के जॉन बॉरला और शंकर मालाकार को टीएमसी में शामिल कर मुख्यमंत्री ने अपनी रणनीति को स्पष्ट कर दिया है. उत्तर बंगाल में राजवंशी समुदाय भी एक प्रमुख फैक्टर है. ममता बनर्जी ने अनंत राय से संपर्क साधा है. इस तरह से टीएमसी शंकर मालाकार और जान वारला के जरिए उत्तर बंगाल में अपनी चुनावी जमीन मजबूत करने की तैयारी में जुट गई है.

अब देखना होगा कि शंकर मालाकार के जरिए मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की नई चुनावी रणनीति 2026 के चुनाव में कितना असर डालती है. राजनीतिक विश्लेषक मानते हैं कि अगर टीएमसी कूचबिहार , अलीपुरद्वार और जलपाईगुड़ी में चार से पांच प्रतिशत का वोट उछाल लाने में सफल रहती है तो 2026 में उत्तर बंगाल में विधानसभा चुनाव परिणाम की तस्वीर बदल सकती है.

(अस्वीकरण : सभी फ़ोटो सिर्फ खबर में दिए जा रहे तथ्यों को सांकेतिक रूप से दर्शाने के लिए दिए गए है । इन फोटोज का इस खबर से कोई संबंध नहीं है। सभी फोटोज इंटरनेट से लिये गए है।)

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