कोलकाता हाई कोर्ट के निर्देश के बाद केंद्र सरकार पश्चिम बंगाल में फिर से मनरेगा शुरू करने पर विचार कर रही है. लेकिन क्या पूर्वी वर्धमान, हुगली, मालदा और दार्जिलिंग जिले में भी मनरेगा शुरू होगा? यह सवाल इसलिए उठाया जा रहा है कि केंद्र सरकार ने मनरेगा के कार्यों में यहां कई तरह की अनियमितताएं पाई थी.
जिन जिलों में ये अनियमितताएं पाई गई थी, उनमें राज्य के पूर्वी वर्धमान, हुगली ,मालदा और दार्जिलिंग जिले शामिल थे. अगर हाई कोर्ट के निर्देश के बाद केंद्र सरकार राज्य में मनरेगा शुरू करती है तो प्रभावित इन चार जिलों में मनरेगा दोबारा शुरू होगा, इसमें संदेह ही है यह स्पष्ट नहीं हो सका है. अगर कोर्ट की टिप्पणी को देखें तो केंद्र सरकार इन जिलों में मनरेगा दोबारा शुरू नहीं कर सकती है. हालांकि यह केंद्र पर निर्भर करता है.
कोलकाता हाई कोर्ट ने केंद्र सरकार को निर्देश दिया है कि सरकार यह सुनिश्चित करे कि प्रदेश में मनरेगा को अगस्त महीने से शुरू किया जा सके. बंगाल में यह योजना पिछले तीन सालों से बंद चल रही है. इस योजना के तहत काम करने वाले पंजीकृत श्रमिकों को राज्य सरकार की ओर से यथासंभव भुगतान किया गया था. केंद्र सरकार ने 2022 में ही फंडिंग रोक दी थी. इसके बाद राज्य सरकार ने भी मनरेगा के तहत काम करने वाले श्रमिकों को उनके हाल पर छोड़ दिया.
कोलकाता हाई कोर्ट के निर्देश के बाद मनरेगा के श्रमिकों के चेहरे पर खुशी और भविष्य की उम्मीद दिख रही है. सिलीगुड़ी और जलपाईगुड़ी के हजारों श्रमिक मनरेगा के तहत रोजी-रोटी कमा रहे थे. लेकिन यह योजना बंद हो जाने से वह सड़कों पर आ गए. कुछ श्रमिकों ने इंतजार भी किया तो कई श्रमिकों ने पलायन का रास्ता अपनाया और वह देश के दूसरे राज्यों में रोजी-रोटी के लिए पलायन कर गए.
एक लंबे अरसे के बाद राज्य के लाखों श्रमिकों की आंखों में उम्मीद के दीए जलने लगे हैं. हाई कोर्ट के आदेश के बाद देश के अलग-अलग राज्यों में काम करने वाले श्रमिक अब केंद्र सरकार की तरफ टकटकी भरी आंखों से देख रहे हैं. जैसे ही केंद्र सरकार की ओर से हरी झंडी मिल जाती है, वे श्रमिक भी अपने घर लौट आएंगे और मनरेगा के तहत मजदूरी करेंगे.
कोलकाता हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस शिव गणनम और जस्टिस चैताली चटर्जी दास की बेंच ने यह आदेश जारी किया है. जजों की पीठ ने केंद्र सरकार को निर्देश दिया है कि मनरेगा को 1 अगस्त 2025 से शुरू किया जाए. हालांकि इसके साथ ही हाई कोर्ट ने यह भी कहा है कि जांच कार्य प्रभावित नहीं होगा. आपको बताते चलें कि केंद्र सरकार ने मनरेगा के तहत कई गड़बड़ियां पाई थी. बहुत सी अनियमितताओं की जांच के बाद केंद्र ने बाकी जिलों के लिए इस योजना को रोक दिया था.
कोलकाता हाई कोर्ट की पीठ ने केंद्र सरकार को निर्देश दिया है कि राज्य के जिन इलाकों में मनरेगा के तहत अनियमितताएं पाई गई है और जहां-जहां आरोप लगे हैं, वहां जांच जारी रखी जाए. कोर्ट ने यह भी कहा है कि मनरेगा के क्रियान्वयन प्रभारी अधिकारियों को विशेष शर्ते लगाने का अधिकार होगा. ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि 3 साल पहले जो चीज हुई थी, वह दोबारा ना हो.
इन सभी में जो बात निकल कर आती है, वह है प्रभावित जिले जिनमें दार्जिलिंग भी शामिल है. कोर्ट ने भी स्पष्ट कर दिया है कि प्रभावित जिलों में सरकार आरोपों की जांच कर सकती है और दोबारा मनरेगा शुरू करने पर स्वतंत्र विचार कर सकती है. ऐसे में गेंद केंद्र के पाले में है कि सिलीगुड़ी और दार्जिलिंग जिले में दोबारा मनरेगा शुरू किया जाए या नहीं. यहां अनियमिताओं का आरोप दार्जिलिंग के भाजपा सांसद समेत कई नेताओं ने लगाया था. इसके बाद जांच में अनियमिताएं पाई गई और उसके बाद केंद्र सरकार ने इस योजना को ही स्थगित कर दिया था.
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