सिलीगुड़ी समेत उत्तर बंगाल में लोन देने के नाम पर धोखाधड़ी का खेल चल रहा है. इस चक्कर में कई लोग अपनी जान गंवा चुके हैं. सिलीगुड़ी, जलपाईगुड़ी ,कूचबिहार, अलीपुरद्वार, उत्तर दिनाजपुर, जयगांव, मालदा और देखा जाए तो पूरा प्रदेश ही लोन के जाल में गिरफ्त हो चुका है. लोन दिलाने वाले एजेंट भोली भाली जनता को फांसते हैं और फिर उनसे मोटी रकम वसूलते हैं. न देने पर उन्हें धमकियां दी जाती है. बार-बार फोन किया जाता है.
लोन लोगों को दो तरह से मिलता है. एक तो ऑनलाइन एप्प के जरिए और दूसरा एजेंसी के जरिए. दोनों ही तरीके खतरनाक हैं और ठगी के धंधे हैं. समय पर लोन नहीं चुकाया जाता है तो जनता से चक्रवृद्धि ब्याज वसूला जाता है. अगर किस्त समय पर नहीं चुकाई जाए तो मोटा ब्याज देना पड़ता है. सिलीगुड़ी में बहुत सी एजेंसियां हैं, जो लोगों को बिना कागजात के ही लोन प्रदान करती हैं. एक बार इनके चक्कर में आया व्यक्ति इतना परेशान हो जाता है कि वह मानसिक तौर पर टूट जाता है. कई बार वह खुद को मिटा भी डालता है.
एक ऐसी ही घटना हाल में जय गांव में हुई है. जय गांव थाना के अंतर्गत दलसिंहपारा में 42 वर्षीया महिला गौतमी सेवा ने कर्ज वसूली एजेंटों की प्रताड़ना से तंग आकर खुद को मिटा डाला. महिला के परिवार के लोग बता रहे हैं कि वसूली एजेंटों ने महिला को इस तरह प्रताड़ित किया कि उसने खुद को मिटाने से पहले अपने बच्चे को खेलने के लिए बाहर भेज दिया था और उसके बाद उसने खुद को कमरे में बंद कर लिया और इस तरह से उसने खुद को मिटा डाला…
सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार महिला एक एजेंसी से लोन के नाम पर छली गई थी. बताया जा रहा है कि उक्त महिला ने कभी लोन लिया ही नहीं था. कुछ लोगों ने उसके नाम और दस्तावेजों का गलत इस्तेमाल करके फर्जी लोन हासिल किया था और उसे फंसा दिया था. जिस लोन को उसने लिया ही नहीं था, उस लोन को भरने के लिए उसे मजबूर किया जा रहा था. वसूली एजेंटों के द्वारा लगातार दबाव बनाने और महिला को अपमानित करने से वह मानसिक तौर पर टूट गई और उसने खुद को मिटा डालने का कठोर कदम उठाया.
इस तरह की घटनाएं हमारे समाज में खूब हो रही हैं. ठगी का यह धंधा हमारे समाज में गहराई तक व्याप्त है, जिससे उबरने के लिए सरकार पहल करने जा रही है. सरकार लोन देने के नाम पर ठगी करने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई के लिए एक कानून ला रही है. इस प्रस्तावित कानून का नाम बेनिंग ऑफ अनरेगुलेटेड लैंडिंग एक्टिविटीज है. इसे जल्द ही कैबिनेट की मंजूरी के लिए भेजा जा सकता है.
अगर यह कानून लागू होता है तो चाहे कोई व्यक्तिगत रूप से अथवा डिजिटल माध्यम से लोन देने का कारोबार करता है तो उसे सर्वप्रथम स्टेट बैंक ऑफ़ इंडिया कानून 1955 या फिर किसी राज्य के मनी लेंडिंग कानून के तहत म॔जूरी लेना अनिवार्य होगा. अगर कोई एजेंसी ऐसा नहीं करती है तो उसके खिलाफ भारी जुर्माना के साथ-साथ जेल भी हो सकती है. सरकार कर्ज देने वाली एजेंसी अथवा ऑनलाइन app का डेटाबेस तैयार करेगी.
कर्ज देने वाले सभी डिजिटल ऐप और एजेंसी को आरबीआई तथा अन्य नियामकों से इजाजत लेनी होगी. समाज में चल रहे लोन के नाम पर ठगी के इस खेल को बंद करने के लिए सरकार विशेष अदालतें भी बनाने जा रही है. सरकार ऐसी एजेंसियों पर कार्रवाई करने जा रही है, जो लोन देने के नाम पर भ्रामक प्रचार करते हैं. देखना होगा कि सरकार कब तक इस कानून को संसद में लाती है. लेकिन उससे पहले सरकार और सामाजिक संगठनों को सतर्कता कार्यक्रम के जरिए गांव अथवा शहर के भोले भाले लोगों को इन एजेंसियों के जाल में गिरफ्त होने से बचाने की जरूरत है.
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