पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री और तृणमूल कांग्रेस प्रमुख ममता बनर्जी ने एक बार फिर राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (एनआरसी) को लेकर गहरी चिंता जताई है। उन्होंने आरोप लगाया है कि, चुनाव आयोग, भाजपा के इशारे पर राज्य में ‘बैक डोर’ से एनआरसी लागू करने की कोशिश कर रहा है। उनका कहना है कि, मतदाता सूची के विशेष पुनरीक्षण के नाम पर जिस तरह से कुछ लोगों से नागरिकता संबंधी दस्तावेज मांगे जा रहे हैं, वह लोकतांत्रिक प्रक्रिया के खिलाफ है और इससे समाज में भय और असुरक्षा का माहौल उत्पन्न हो रहा है। ममता बनर्जी ने कहा कि, यह सिर्फ एनआरसी नहीं, बल्कि उससे भी अधिक खतरनाक साजिश है।
मुख्यमंत्री ने आरोप लगाया, चुनाव आयोग 1 जुलाई 1987 से 1 दिसंबर 2004 के बीच जन्मे मतदाताओं को निशाना बना रहा है। इन लोगों से जन्म प्रमाणपत्र और नागरिकता साबित करने वाले दस्तावेज मांगे जा रहे हैं। उनका कहना है कि, राज्य के गरीब, ग्रामीण और वंचित वर्गों के पास ऐसे दस्तावेजों का होना आसान नहीं है, खासकर जिनका जन्म अस्पतालों की बजाय घरों में हुआ है। इससे लाखों लोगों की नागरिकता पर सवाल उठ सकते हैं और उन्हें मतदाता सूची से बाहर करने का रास्ता खुल सकता है।
ममता बनर्जी ने यह भी कहा कि, यह पूरी प्रक्रिया बिहार मॉडल पर आधारित है, जहां इसी तरह से विशेष रिवीजन किया गया था। उन्होंने आरोप लगाया कि, भाजपा देशभर में एनआरसी और नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) जैसे मुद्दों का इस्तेमाल कर लोगों को डराने और समाज में विभाजन पैदा करने का प्रयास कर रही है। उन्होंने यह भी दावा किया कि, चुनाव आयोग अब निष्पक्ष संस्था की तरह नहीं, बल्कि भाजपा के ‘मुखपत्र’ की तरह काम कर रहा है।
ममता बनर्जी का कहना है, बंगाल की जनता पहले भी एनआरसी और सीएए को नकार चुकी है और आगे भी इन्हें बर्दाश्त नहीं करेगी। उन्होंने लोगों से अपील की, कि, वे इस प्रक्रिया को लेकर सतर्क रहें और अपने सभी जरूरी दस्तावेज तैयार रखें। उन्होंने यह भी कहा यह कोई साधारण प्रशासनिक कार्रवाई नहीं है, बल्कि एक गहरी राजनीतिक साजिश है, जिससे लोकतंत्र, सामाजिक सद्भाव और नागरिक अधिकारों पर सीधा हमला हो रहा है।
मुख्यमंत्री ने चुनाव आयोग से यह मांग की है कि, वह अपनी भूमिका को निष्पक्ष और संवैधानिक दायरे में रखकर निभाए। किसी राजनीतिक दल के एजेंडे पर चलकर नागरिकों के अधिकारों का उल्लंघन न करे। ममता बनर्जी की यह चेतावनी उस समय आई है जब राज्य में राजनीतिक तापमान पहले ही काफी ऊंचा है। अब सवाल यह है कि, क्या केंद्र सरकार वाकई पश्चिम बंगाल में एनआरसी जैसी प्रक्रिया लागू करने की योजना बना रही है या यह केवल एक आशंका और राजनीतिक बहस बनकर रह जाएगी। इस मुद्दे पर आने वाले दिनों में बंगाल की राजनीति और तेज हो सकती है।
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