अस्पताल और अस्पताल के डॉक्टरों की लापरवाही के किस्से आपने बहुत सुने होंगे. क्या सिलीगुड़ी, क्या कोलकाता और क्या देश के अन्य नगर… सब जगह अस्पताल और अस्पताल के अधिकतर कर्मियों की लापरवाही देखी जा सकती है. इनमें डॉक्टर भी प्रमुख रूप से जिम्मेदार होते हैं. हालांकि यह कहना सही नहीं है कि सभी डॉक्टर लापरवाह होते हैं. परंतु कुछ डॉक्टर ऑपरेशन जैसे मामले में भी लापरवाही कर देते हैं तो कई तरह के सवाल खड़े हो जाते हैं.
आपने इस तरह की खबरें तो जरूर सुनी होगी कि रोगी का ऑपरेशन करने के क्रम में डॉक्टर ने कैंची, चाकू, तौलिया, रुमाल आदि मरीज के शरीर के अंदर ही छोड़ दिया. अगर पिछले कुछ महीनों के घटनाक्रमों पर एक नजर डालें तो भोपाल में डॉक्टर ने महिला के पेट में कैंची छोड़ दी, जिसे 4 महीने बाद निकाला गया. इसी तरह से कानपुर में डॉक्टरों ने पथरी के ऑपरेशन के दौरान महिला के पेट में तौलिया छोड़ दिया और अब ताजा मामला सिक्किम का है, जहां सिक्किम की एक 45 साल की महिला के पेट में डॉक्टर ने ऑपरेशन के दौरान कैंची छोड़ दी थी.
यह घटना 12 साल पहले की है, जब यह महिला गंगटोक में सर थुटोब नामगयाल मेमोरियल अस्पताल में अपेंडिक्स की सर्जरी के लिए भर्ती हुई थी. 2012 में यह घटना घटी थी. महिला का ऑपरेशन हुआ और उसमें डॉक्टरों की गलती से कैंची पेट में ही छूट गई. हालांकि ऑपरेशन के बाद महिला स्वास्थ जरूर हो गई थी. पर कुछ ही दिनों के बाद उसे फिर से पेट दर्द होने लगा. इस स्थिति में रोगी महिला पेट दर्द के इलाज के लिए सिलीगुड़ी से लेकर सिक्किम और इधर-उधर सब जगह दिखाई जाती रही. लेकिन कोई लाभ नहीं हुआ.
महिला का दर्द लगातार बढ़ता जा रहा था. एंटीबायोटिक अथवा पैनकिलर खाने के बाद दर्द जरूर कम हो जाता था पर बार-बार दर्द शुरू हो जाता. इस तरह से सिक्किम की महिला कम से कम 12 सालों तक पेट दर्द से परेशान रही. एक शुभचिंतक ने महिला को फिर से एक्स-रे कराने की सलाह दी. अपने शुभचिंतक की सलाह मानकर महिला ऑपरेशन के लिए पुन: उसी अस्पताल में गई, जहां उसका अपेंडिक्स का ऑपरेशन हुआ था. उसका एक्स-रे हुआ जिसमें पता चला कि उसके एब्डोमेन में कैंची रह गई है.
मीडिया खबरों के अनुसार अस्पताल के डॉक्टरों ने फिर से महिला का ऑपरेशन किया और उसके शरीर से कैंची निकाल कर अलग कर दी. महिला के पति ने बताया कि फिलहाल पत्नी की हालत स्थिर है. धीरे-धीरे उनके स्वास्थ्य में सुधार आ रहा है. इस घटना के बाद स्थानीय लोगों का अस्पताल के खिलाफ गुस्सा बढा है. सीएमओ ने अस्पताल प्रशासन के खिलाफ जांच शुरू कर दी है.
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