चीन अब भारत के सिलीगुड़ी क्षेत्र पर अपनी नज़रें गढ़ाए हुए है, और उसने अपनी ‘त्रिशूल स्ट्रैटजी’ के तहत एक गंभीर रणनीति तैयार कर ली है। पहले सिर्फ बातें सुनने को मिल रही थी, लेकिन अब चीन ने सच में भारत के चिकन नेक क्षेत्र पर अपने प्रभाव को और मजबूत करने के लिए कड़े कदम उठाने शुरू कर दिए हैं। नेपाल, भूटान और बांग्लादेश के माध्यम से चीन ने इस दिशा में रणनीतिक निवेश और सैन्य गतिविधियाँ बढ़ानी शुरू कर दी हैं, जिससे सिलीगुड़ी कॉरिडोर और भारत की सुरक्षा पर खतरे का घेरा सख्त हो रहा है।
सिलीगुड़ी, भारत के उत्तर-पूर्वी हिस्से में स्थित एक महत्वपूर्ण शहर है, जो उत्तर-पूर्व भारत और बाकी भारत के बीच सड़क और रेल संपर्क का एक महत्वपूर्ण मार्ग है। यह शहर चिकन नेक के रूप में जाना जाता है, जो भारत के उत्तर-पूर्वी राज्यों को बाकी भारत से जोड़ता है। यह मार्ग केवल 22 किलोमीटर चौड़ा है, और इसकी सुरक्षा भारत के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। अब, चीन ने नेपाल, भूटान और बांग्लादेश के माध्यम से अपनी ‘त्रिशूल स्ट्रैटजी’ के तहत इस क्षेत्र में अपनी रणनीतिक उपस्थिति मजबूत करने की योजना बनाई है, जिससे सिलीगुड़ी कॉरिडोर पर संकट बढ़ सकता है।
चीन ने भारत के इस संवेदनशील चिकन नेक क्षेत्र पर अपनी पकड़ मजबूत करने के लिए नेपाल, भूटान और बांग्लादेश के साथ मिलकर कई योजनाएं बनाई हैं, जिससे भारत की सुरक्षा और अखंडता पर गंभीर खतरे की आशंका जताई जा रही है। नेपाल के झापा जिले में चीन द्वारा बनाए जाने वाले ‘चीन-नेपाल मैत्री औद्योगिक पार्क’ से लेकर, भूटान में चीन के निवेश तक, ये सभी कदम भारत के लिए चिंता का कारण बन चुके हैं। भारत ने कई बार इन देशों को अपनी चिंताओं से अवगत कराया है, लेकिन चीन की बढ़ती आर्थिक और सैन्य प्रभाव के कारण स्थिति और भी जटिल होती जा रही है।
नेपाल के झापा जिले में चीन ने ‘चीन-नेपाल मैत्री औद्योगिक पार्क’ बनाने की योजना बनाई है, जो भारत-नेपाल सीमा से केवल 55 किलोमीटर दूर स्थित है। यदि यह परियोजना पूरी होती है, तो यह सीधे तौर पर भारत के चिकन नेक के पश्चिमी हिस्से को प्रभावित करेगा। नेपाल के प्रधानमंत्री केपी ओली की शह पर यह परियोजना आगे बढ़ रही है, और विशेषज्ञ मानते हैं कि यह न केवल लॉजिस्टिक्स हब बनेगा, बल्कि यह पाकिस्तान समर्थित आतंकियों के लिए नई सुरक्षित रूट भी प्रदान कर सकता है। भारत ने इस परियोजना पर गहरी चिंता व्यक्त की है, लेकिन नेपाल की सरकार चीन के प्रभाव में आकर इस पर काम कर रही है।
भूटान में चीन का स्ट्रैटेजिक निवेश भी भारत के लिए खतरे की घंटी हो सकता है। भूटान के गेलेफू माइंडफुलनेस सिटी (GMC) प्रोजेक्ट में चीन का निवेश भारत के लिए एक गंभीर सुरक्षा चुनौती बन सकता है। यह परियोजना भारत-भूटान सीमा के ठीक बगल में बनाई जा रही है, और इसमें चीन की संलिप्तता भारतीय सुरक्षा के लिए बड़ा खतरा हो सकती है। भले ही भूटान ने चीन को इस परियोजना में सावधानी से भागीदार बनने दिया है, लेकिन भारत की चिंता बढ़ रही है कि भविष्य में यह परियोजना चीन के लिए रणनीतिक फायदे का कारण बन सकती है।
बांग्लादेश के लालमोनिरहाट एयरबेस का मामला भी भारत के लिए एक नया सुरक्षा संकट पैदा कर सकता है। यह एयरबेस भारत के चिकन नेक से सिर्फ 20 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है, और अगर यहां चीन की संलिप्तता रही तो भारत के लिए यह एक सैन्य खतरा बन सकता है। बांग्लादेश की सरकार ने चीन के साथ मिलकर इस एयरबेस को फिर से सक्रिय करने की योजना बनाई है। यदि यह प्रोजेक्ट सफल हुआ, तो चीन को भारतीय सैन्य गतिविधियों की निगरानी करने का मौका मिल सकता है, जिससे भारत की पूर्वोत्तर राज्यों से संपर्क व्यवस्था पर प्रभाव पड़ेगा।
चीन की यह नीति, जिसे भारतीय सुरक्षा विशेषज्ञ ‘त्रिशूल स्ट्रैटजी’ के नाम से पहचानते हैं, तीन देशों के माध्यम से भारत के चिकन नेक कॉरिडोर को घेरने की चीन की योजना का हिस्सा है। यह केवल आर्थिक निवेश नहीं है, बल्कि सैन्य रणनीति भी है, जो भारत के लिए रणनीतिक खतरे का कारण बन सकती है।
चीन के बढ़ते दबाव के बावजूद, भारत के पास जवाबी रणनीति है, लेकिन यह पूरी स्थिति भारत की सैन्य तैयारी और राजनीतिक रणनीतियों को तीन गुना बढ़ाने का संकेत दे रही है। चिकन नेक की सुरक्षा अब भारत के लिए सर्वोच्च प्राथमिकता बन चुकी है। अगर चीन ने डोकलाम पठार से आगे बढ़ते हुए इस चिकन नेक पर कब्जा किया, तो यह भारत के लिए गंभीर सुरक्षा संकट बन सकता है।
“त्रिशूल स्ट्रैटजी” आने वाले वर्षों में भारत की जियो-पॉलिटिकल प्राथमिकताओं को नए सिरे से परिभाषित करने के लिए मजबूर कर सकती है।
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