May 2, 2024
Sevoke Road, Siliguri
उत्तर बंगाल राजनीति सिलीगुड़ी

मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की माइक्रो सर्जरी!

मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के साथ सिलीगुड़ी में हुआ हादसा अब उन्हें सर्जरी के दरवाजे तक ले आया है.आज मुख्यमंत्री को एसएसकेएम अस्पताल में भर्ती कराया जाएगा. उनके बाएं घुटने पर पानी जमा हो गया है. उस पानी को निकालने के लिए उनकी सर्जरी की जाएगी. इसके लिए डॉक्टरों की टीम तैयार है. मुख्यमंत्री की सर्जरी का फैसला उनके एम आर आई टेस्ट के बाद लिया गया है.

ममता बनर्जी का हादसों और अस्पताल से पुराना नाता रहा है. जानकार मानते हैं कि ममता बनर्जी ने ऐसे संकट को कई बार झेला है और हर बार मजबूत हुई है. ममता बनर्जी कई बार जनसभाओं में तथा दूसरे अवसर पर बता चुकी है कि उन्होंने अपने राजनीतिक जीवन में क्या क्या नहीं झेला है. उन्होंने कहा था कि सर से लेकर पांव तक उन्होंने चोट खाई है.फिर भी वह जिंदा है.

चुनाव के समय ही मुख्यमंत्री के साथ हादसे क्यों होते हैं. क्या इसे संयोग माना जाए? क्योंकि पिछले विधानसभा चुनाव के समय मुख्यमंत्री को चुनाव प्रचार के क्रम में पैर में चोट लगी थी. उसके बाद उनके पैर पर प्लास्टर चढाना पड़ा था. पैर पर प्लास्टर चढ़ा कर ही उन्होंने चुनाव प्रचार किया था. इस बार पंचायत चुनाव है और एक बार फिर से मुख्यमंत्री के घुटनों में चोट लगी है. और इसका इलाज चल रहा है. चोट के बावजूद मुख्यमंत्री वर्चुअल लोगों को संबोधित कर रही है.

देखा जाए तो ममता बनर्जी का हादसों से पुराना नाता रहा है. एक जमाने में ममता बनर्जी पश्चिम बंगाल प्रदेश कांग्रेस की मुखिया हुआ करती थी. 90 के दशक में पश्चिम बंगाल की वाममोर्चा की सरकार ने बसों का किराया बढ़ा दिया था. 16 अगस्त 1990 को कांग्रेस ने सरकारी बसों के बढे किरायों के खिलाफ हड़ताल बुलाई थी. ममता जब कार्यकर्ताओं के साथ कोलकाता के हाजरा इलाके में पहुंची तो सीपीएम के लोगों ने उन्हें घेर लिया. लेकिन ममता बनर्जी डरी नहीं. उनके सिर पर राड से प्रहार किया गया था. वह खून से तरबतर हो गई थी. इस हमले के बाद ममता बनर्जी कई दिनों तक अस्पताल में भर्ती रही थी.

इसी तरह से 21 जुलाई 1993 को कोलकाता में ममता बनर्जी की अगुवाई में कांग्रेस ने एक और बड़ा प्रदर्शन किया था. अचानक पुलिस ने फायरिंग कर दी. इसमें 13 कांग्रेस कार्यकर्ता मारे गए. इस घटना ने ममता बनर्जी की अलग पहचान बना दी. 1998 में ममता बनर्जी ने कांग्रेस से अलग होकर अपनी पार्टी तृणमूल कांग्रेस बनाई थी.

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