अलीपुरद्वार: चाय श्रमिक के बेटे भगवान दास टोप्पो राज्य स्तरीय प्रतियोगिता में हिस्सा लेकर अब देश के लिए खेलेंगे, लेकिन इनका या सपना पूरा होगा कि नहीं यह तो आने वाला जुलाई का महीना ही तय करेगा, क्योंकि जुलाई के महीने की 6 तारीख को उन्हें यहां से अमेरिका के लिए रवाना होना है और कुल खर्च 3 लाख लगेंगे जो कि, भगवान दास टोप्पो के पास नहीं है, वे लगातार सामाजिक संगठनों और राजनीतिक दलों के प्रतिनिधियों से मदद की गुहार लगा रहे हैं, लेकिन अभी तक इतना रुपया इकट्ठा नहीं हुआ है कि, वे आराम से देश के लिए खेलने अमेरिका जा सके |
भगवान दास टोप्पो की मजबूरी को जान कर शायरों की गरीबी में लिखी शायरी याद आ गई | एक श्रमिक परिवार से होने के बावजूद भगवान दास टोप्पो ने अपने जज्बात को जिंदा रखा, रोजमर्रा के उतार चढ़ाव को भूल कर सिर्फ अपने सपने को जिया और आज उन्होंने अपने सपने को तो पूरा कर लिया है लेकिन मंजिल तक पहुंचने की राह महंगी है |
बता दे कि, डुआर्स चाय बागान के युवक भगवान दास अमेरिका के कोलोराडो में आयोजित वर्ल्ड बूमरैंग चैंपियनशिप प्रतियोगिता में देश की ओर से खेलने वाले हैं और यह जुलाई महीने में अमेरिका में आयोजित किया जाएगा | भगवान दास अलीपुरद्वार जिले के पाटकापाड़ा चाय बागान क्षेत्र के निवासी है, वे एक श्रमिक के बेटे हैं और पिछले वर्ष दिसंबर में उन्होंने तमिलनाडु में आयोजित राष्ट्रीय स्तर के बूमरैंग प्रतियोगिता में भाग लिया था और उस प्रतियोगिता में उन्होंने अच्छा प्रदर्शन किया, जिसके बाद उन्हें वर्ल्ड बूमरैंग चैंपियनशिप प्रतियोगिता के लिए चुना गया | देखा जाए तो यह हमारे देश के लिए गौरव की बात है कि, आज के युवा विभिन्न प्लेटफार्म के जरिए देश का नाम विदेशों में जाकर रोशन कर रहे हैं और एक श्रमिक परिवार के होने के बावजूद भगवान दास को यह मौका मिला | उनके इस उपलब्धि से उनके क्षेत्र के लोग काफी खुश हैं, तो भगवान दास भी विदेश में जाकर खेलने के लिए काफी उत्साहित है और वह लगातार कड़ी मेहनत भी कर रहे हैं |
एक श्रमिक परिवार से होने के कारण उनकी आर्थिक स्थिति उनके राह में बाधा बन रहा है, अमेरिका जाने के लिए उनके कागजात तैयार हो चुके हैं लेकिन इकट्ठा हो नहीं पा रहा है रुपया और वर्तमान समय में उन्हें रुपयों की बहुत ज्यादा जरूरत है | लगातार भगवान दास विभिन्न संगठनों और राजनीतिक दलों से अपनी खेलने की इच्छा जाहिर करते हुए मदद की गुहार लगा रहे हैं, लेकिन उनकी गुहार अभी तक उचित कानों तक नहीं पहुंची पाई है | वह जितना हो सके रुपया इकट्ठा कर तो रहे हैं, लेकिन 3 लाख इकट्ठा करना यह एक श्रमिक परिवार के लिए काफी मुश्किल |
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