मां की आंखों के आंसू सूख नहीं रहे हैं. नीचे से बहती तीस्ता नदी की कलकल धारा कुछ शोर के साथ बह रही है. मां कभी इधर तो कभी उधर अपने लाल को एक नजर देखने के लिए तड़प रही है. बुधवार से ही वह सेवक पुल पर बैठी है. उसे कौन समझाए कि अब उसका लाल इस दुनिया में नहीं है. मां को विश्वास है कि नदी की धारा के बीच से उसका लाल जीवित लौटेगा और मां के गले लग जाएगा. इसीलिए वह घर जाने का नाम नहीं ले रही है.
बार-बार वह विलाप कर उठती है. एक बार वह अपने लाल को देख लेना चाहती है, जिसने अपने जीवन का अंत करने से पहले अपने छोटे भाई को मां का ख्याल रखने को कहा था. आज तीसरा दिन है, लेकिन अभी तक गौरांग मंडल का शव बरामद नहीं हो सका है. डिजास्टर मैनेजमेंट के लोग काफी हाथ पांव मार चुके. अब तो उन्हें लगता है कि नदी की जलधारा में शव बहते हुए काफी दूर तक निकल गया होगा.
गौरांग मंडल एक लड़की की बेवफाई में मारा गया. वह लड़की को दिलो जान से चाहता था. वह उससे सच्ची मोहब्बत करता था. वह उसे अपना बनाना चाहता था. बड़े-बड़े सपने देख रखे थे. वह उसके साथ घर संसार बसाना चाहता था. मिलना जुलना, सपने देखना और साथ-साथ घूमना चलता रहा. दोनों के बीच कसमे वादे भी हुए. बस शादी करने की देर थी. यह चर्चा दो साल पहले की है.
इसी बीच एक दिन गौरांग मंडल को पता चला कि उसकी प्रेमिका ने उसके साथ बेवफाई कर दी है और उसकी शादी किसी अन्य लड़के के साथ हो रही है. गौरांग मंडल को विश्वास नहीं हुआ. जिसने यह खबर दी, उसी से झगड़ बैठा और कहा कि यह सब झूठ है. लेकिन यह झूठ नहीं था. उसकी प्रेमिका की शादी कहीं और तय हो चुकी थी.शादी का दिन भी निश्चित हो चुका था. गौरांग मंडल जैसे पगला गया. उसने अपनी प्रेमिका को फोन लगाया लेकिन उसका फोन स्विच ऑफ था.
इसके बाद उसने अपनी प्रेमिका से मिलने का प्लान बनाया और उसके घर तक पहुंच गया. लेकिन प्रेमिका ने मिलने से इनकार कर दिया और कहा कि वह वापस लौट जाए. उसकी मंजिल वह नहीं है. अब तक जो हुआ, उसे भूल जाए. इसके बाद प्रेमिका ने उससे सारे रिश्ते खत्म कर लिए. यह गौरांग मंडल बर्दाश्त नहीं कर सका. जब उसकी प्रेमिका ने उसे छोड़कर अन्य लड़के से शादी रचा ली तो इसके बाद वह मानसिक रूप से बुरी तरह टूट गया.
तभी से वह मानसिक रूप से परेशान रहने लगा था. घर वालों ने उसका दुख दर्द कम करने के कई उपाय किए. उस लड़की को भूल जाने के लिए समझाया बुझाया. लेकिन इसका गौरांग मंडल पर कोई असर नहीं पड़ा. वह अकेले में आंसू बहाता और रोता रहता था. मां उसके काफी करीब थी, जिसने अपने बेटे को काफी समझाया और उसके अंदर हिम्मत भी पैदा करने की कोशिश की. लेकिन अपनी प्रेमिका के साथ बीते पलों को लाख भूलने की कोशिश करके भी वह भूला नहीं सका.
जब गौरांग मंडल अपनी प्रेमिका की बेवफाई का गम बर्दाश्त नहीं कर पाया तो उसने खुद को ही मिटा लेने का फैसला कर लिया. बुधवार का दिन. उसके दिमाग में एक ख्याल आ रहा था. दूसरा जा रहा था. वह काफी परेशान था. नकारात्मकता उसपर सवार थी. सुबह का समय था. वह घर से निकल गया और सीधे सेवक चला गया. वहीं से अपने भाई को फोन करके बताया और फिर तीस्ता नदी में कूद कर अपनी जान गंवा दी. एक अधूरी मोहब्बत की दास्तान तीस्ता नदी की गहराई में दफन हो गई!