आखिरकार ममता बनर्जी की सरकार ने तुरूप का इक्का चल दिया है. लोकसभा चुनाव में तृणमूल कांग्रेस की सभी 42 लोकसभा सीटों पर नजर है. राज्य में भाजपा ने राम मंदिर की हवा बना दी है, जिसका कोई सही काट तृणमूल कांग्रेस को नहीं मिल रहा था. आज पश्चिम बंगाल विधानसभा में राज्य का बजट पेश किया गया और मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के निर्देश पर वित्त राज्य मंत्री चंद्रिमा भट्टाचार्य ने एक ही झटके में लक्ष्मी भंडार के तहत राज्य की महिलाओं को हर महीने मिल रही ₹500 की रकम को दोगुना कर दिया है.
वर्तमान में लक्ष्मी भंडार के अंतर्गत राज्य की सामान्य महिलाओं को महीने में ₹500 मिलता है. जबकि अनुसूचित जनजाति की महिलाओं को ₹1000 महीना मिलता है. नई घोषणा के बाद सामान्य महिलाओं को हर महीने इस योजना के तहत ₹1000 मिलेगा. जबकि अनुसूचित जनजाति की महिलाओं को महीने में ₹1200 मिलेगा. उन्हें पहले ₹1000 महिना मिल रहा था. वित्त राज्य मंत्री चंद्रिमा भट्टाचार्य ने सदन में बजट पेश किया. राजनीतिक विश्लेषक और पंडित मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की इस रणनीति को मध्य प्रदेश मॉडल से जोड़ कर देख रहे हैं, जहां राज्य की महिलाओं को लाडली बहन योजना के तहत हर महीने ₹1000 दिया जाता है.
मध्य प्रदेश में मातृ शक्ति और नारी शक्ति की वहां की सरकार पर हमेशा कृपा रही है. यही कारण है कि मध्य प्रदेश में 20 सालों से एक ही पार्टी की सरकार चल रही है. भाजपा ने इस फार्मूले को पिछले विधानसभा चुनाव में भी अपनाया था और पार्टी को प्रचंड बहुमत हासिल हुआ था. मुख्यमंत्री ममता बनर्जी मध्य प्रदेश के फार्मूले की काफी तारीफ कर चुकी है. वह अच्छी तरह समझती है कि नारी शक्ति की बदौलत ही वह लंबे समय तक बंगाल पर शासन कर सकती है.
पिछले विधानसभा चुनाव 2019 में भाजपा ने ममता बनर्जी की सत्ता को उखाड़ फेंकने के लिए चारों तरफ से उनकी सरकार को घेरने की कोशिश की थी. ममता बनर्जी राजनीति की कुशल खिलाड़ी रही है. उन्हें अच्छी तरह पता है कि राज्य की महिलाएं उनसे प्यार करती हैं. इसीलिए वह महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने के लिए लक्ष्मी भंडार योजना लाई, जिसका उन्हें काफी लाभ मिला. अगर 2019 के विधानसभा चुनाव में राज्य की महिलाओं ने ममता बनर्जी का साथ नहीं दिया होता तो शायद इस समय वह मुख्यमंत्री के रूप में नहीं नजर आती.
अब पूरे देश में लोकसभा का चुनाव हो रहा है. तृणमूल कांग्रेस केंद्र में अपनी मजबूत स्थिति तैयार करना चाहती है. इसलिए उसने महिला वोटर को लुभाने के लिए भाजपा के खिलाफ मास्टर स्ट्रोक चला है, जिसका काट अब भाजपा को ढूंढना होगा. यह अलग बात है कि राज्य की वित्तीय स्थिति ठीक नहीं है. केंद्र से पैसा नहीं मिल रहा है और राज्य सरकार विकास कार्यों के लिए ऋण ले रही है. पर सत्ता में बने रहने के लिए यह जरूरी था कि ममता बनर्जी महिलाओं को उनके मासिक भत्ते यानी लक्ष्मी भंडार की रकम में बढ़ोतरी करती. निश्चित रूप से ममता बनर्जी और उनकी सरकार का यह कदम महिलाओं में उनकी पकड़ को बढ़ाएगा और लोकसभा चुनाव में तृणमूल कांग्रेस की सीटों को बढ़ाएगा.
अब देखना होगा कि भाजपा ममता बनर्जी के इस मास्टर स्ट्रोक से कैसे निबटती है. राजनीतिक विश्लेषकों के अनुसार वर्तमान में जब तृणमूल कांग्रेस के बड़े-बड़े नेता, मंत्री, विधायक, विभिन्न घोटालों में ईडी और सीबीआई के शिकंजे में है, वहां ममता बनर्जी से कुछ ऐसी ही उम्मीद की जा रही थी. उनका राज्य बजट भी कुछ इसी तरह का है. वित्त राज्य मंत्री ने बजट में मनरेगा के तर्ज पर 50 दिन पर रोजगार मिलने की घोषणा की है. उनकी सरकार युवाओं के लिए 5 लाख नौकरियां देंगी. ममता बनर्जी की सरकार 10 लाख और वरिष्ठ नागरिकों को पेंशन देगी. इसके अलावा 140000 विधवाओं को विधवा भत्ता दिया जाएगा.
मुख्यमंत्री की खाद्य साथी योजना में प्रदेश के अब तक 9 करोड लोग जुड़ चुके हैं. विकास निधि को 60 लाख रुपए से बढ़ाकर 70 लाख रुपए करने की घोषणा की गई है. इसके अलावा उनकी सरकार ने राज्य सरकार के कर्मचारियों का महंगाई भत्ता बढ़ा दिया है.अब सरकारी कर्मचारियों को मई से 4% बढ़ा हुआ डीए मिलेगा. जहां तक लक्ष्मी भंडार के अंतर्गत राज्य की महिलाओं को मिल रहे लाभ की बात है तो उनकी राशि में डबल इजाफा करना, ममता बनर्जी और उनकी सरकार के इस कदम से राज्य की महिलाओं में उनकी पकड़ बढ़ जाएगी.