April 19, 2024
Sevoke Road, Siliguri
Uncategorized

मौत को आमंत्रण देता बर्दवान रोड का फ्लाई ओवर!

सिलीगुड़ी शहर में बर्दवान रोड पर 2018 से ही फ्लाईओवर का निर्माण कार्य चल रहा है, जो आज तक पूरा नहीं हो सका. यह फ्लाईओवर विशाल मेगा मार्ट से शुरू होता है और एयर व्यू मोड पर जाकर समाप्त होता है. किंतु निर्माण कार्य आज तक पूरा नहीं हो सका है. इसके बावजूद जहां से यह फ्लाईओवर शुरू होता है, वहां ना तो कोई बैरिकेडिंग व्यवस्था है और ना ही प्रकाश व्यवस्था. यहां पहरा देने के लिए नाइट गार्ड भी नहीं है.

रात के अंधेरे में डूबा रहने वाला फ्लाईओवर वर्तमान में जानलेवा साबित हो रहा है. पिछले दिनों यहां दो युवकों की जान चली गई. उसके बाद से फ्लाईओवर के निर्माण से लेकर इसके रखरखाव तथा अधूरे कार्य पर शहर भर में चर्चा शुरू हो गई है. आपको बता दूं कि ट्रैफिक की समस्या को देखते हुए साल 2018 में यहां फ्लाईओवर का निर्माण शुरू हुआ था. 5 साल हो गए. लेकिन अब तक फ्लाईओवर बन नहीं सका है. झंकार मोड इलाके में अभी भी बहुत काम बाकी है. पीडब्ल्यूडी फ्लाईओवर का निर्माण कर रहा है लेकिन बीच में रेलवे की जमीन आ जाने से पीडब्ल्यूडी विभाग ने हाथ खड़े कर लिए हैं. क्योंकि नियमानुसार यह भाग रेलवे के द्वारा निर्मित किया जाने वाला है. वर्तमान में यहां कोई कार्य नहीं हो रहा है.

लोगों का कहना है कि जब फ्लाईओवर बन कर तैयार ही नहीं हुआ तब एंट्री प्वाइंट पर रास्ते को बंद करके रखना चाहिए था. लेकिन उसे खुला छोड़ कर रखा गया. यहां दो युवकों की मौत के बाद लोग प्रशासन, पीडब्ल्यूडी और ठेकेदार पर भी भड़ास निकाल रहे हैं और कह रहे हैं कि यहां रोशनी की भी कोई व्यवस्था नहीं है ताकि रात में गाड़ी चलाने वाले को पता चले कि यहां से फ्लाईओवर गुजरता है. अनजान लोग जो इस फ्लाईओवर के बारे में जानते नहीं हैं,अगर उन्हें फ्लाई ओवर का एंट्री प्वाइंट खुला मिलता है तो वह उसी पर गाड़ी दौड़ाएंगे. क्योंकि रात के समय में यहां अंधेरा और सन्नाटा रहता है. रात में बाइक अथवा वाहनों की गति तेज रहती है. अगर कोई वाहन फ्लाईओवर पर चढ़ जाता है तो जब तक चालक को वस्तुस्थिति का पता चलेगा, तब तक हादसा हो चुका होता है. पिछली घटना इसी लापरवाही का परिणाम है, जब वार्ड नंबर 42 के युवकों राहुल बर्मन तथा जयंत बर्मन को इस फ्लाईओवर के बारे में पता ही नहीं चला और उन्होंने इस पर गाड़ी दौडा दी.

लोगों का कहना है कि अगर यहां बैरिकेडिंग की व्यवस्था होती तो शायद युवकों की जान बच जाती. अब हादसे के बाद प्रशासन भी चेता है और वहां बैरिकेडिंग समेत रोशनी की भी व्यवस्था कर दी गई है.स्थानीय लोगों ने बताया कि यहां और आसपास के इलाकों में छोटी मोटी कई घटनाएं घट चुकी है. लेकिन प्रशासन अभी तक चेता नहीं है.

स्थानीय लोगों के अनुसार अगर सिलीगुड़ी से बाहर का कोई व्यक्ति रात में वाहन लेकर जलपाई मोड से झंकार मोड की ओर आ रहा है तो ओवरब्रिज पर तेज गति से वाहन चलाने की सुविधा पाता है. लेकिन जब यह रास्ता चालू ही नहीं था तो उसे बंद करके रखा जाना चाहिए था. या फिर यहां फ्लड लाइट की व्यवस्था होती तो हादसे को रोका जा सकता था.

हादसे के बारे में यहां के लोगों ने जानकारी दी कि युवक बाइक पर सवार होकर जलपाई मोड से झंकार मोड की ओर जा रहे थे. निर्माणाधीन आरओवी की शुरुआत में अंधेरा होने के कारण वे कुछ देख नहीं सके. उनकी गाड़ी की रफ्तार बहुत ज्यादा थी. ऐसे में उनकी गाड़ी वहां रखे पहले ड्रम से टकराई थी. उसके बाद अनियंत्रित होकर आर ओ वी के साइड दीवार से टकराकर क्षतिग्रस्त हो गई. एक व्यक्ति ने बताया कि आर ओ वी के प्रारंभ में ना तो कोई इंडिकेशन था और ना ही बैरिकेडिंग. सिर्फ ड्रम के सहारे यात्रियों की सुरक्षा क्या हो सकती थी!

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

DMCA.com Protection Status