December 23, 2024
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गंगटोक से अपहृत स्कूली बच्चा लगभग डेढ़ महीने बाद बरामद!

सिक्किम पुलिस ने बिहार पुलिस के साथ मिलकर सिक्किम के गंगटोक से अपह्रत एक बच्चे को सकुशल बरामद कर लिया है. गंगटोक के एक स्कूल में पढ़ने वाले बच्चे का 20 अगस्त 2023 को अपहरण कर लिया गया था. गंगटोक पुलिस के लिए यह एक बहुत बड़ी चुनौती थी. क्योंकि बच्चे का कोई सुराग नहीं मिल रहा था. अपहरणकर्ताओं ने खूब सोच विचार कर और प्लानिंग करके स्कूली बच्चे का अपहरण किया था और उन्होंने अपने पीछे कोई सबूत भी नहीं छोड़ा था. इसके बावजूद गंगटोक पुलिस ने न केवल बच्चे का पता लगाया बल्कि बच्चे के अपहरण में शामिल मुख्य अपहरणकर्ता मिथिलेश राय और उसके साथियों को धर दबोचा है.

क्या है पूरी कहानी? प्राथमिक जांच, लोगों के बयान तथा अन्य सूत्रों के अनुसार अपहरण की इस कहानी का ताना बाना पैसे के लिए बुना गया था. कुछ युवा रातों रात अमीर हो जाना चाहते हैं. इसके लिए जो शॉर्टकट रास्ता चुना जाता है, वह अपराध का मार्ग ही होता है. लेकिन अपराध के मार्ग का दूसरा छोड़ जेल भी होता है. यह बात अपराधी समझ नहीं पाते हैं. बिहार के मधेपुरा जिले के अंतर्गत चौसा थाना के गांव लौआ लगन का रहने वाला मिथिलेश राय गंगटोक में एक निजी फर्म में नौकरी करता था. वह अत्यंत महत्वाकांक्षी था. उसके बड़े-बड़े सपने थे. वह खूब दौलत कमाना चाहता था. इसके लिए उसने जो रास्ता चुना, वह काफी खतरनाक था.

गंगटोक के एक स्कूल में विपिन नामक छात्र (नाम बदला गया है) भी पढ़ता था. लड़का किसी अमीर घर का लगता था. मिथिलेश राय ने कुछ दिनों तक गुप्त रूप से लड़के का पीछा करके उसके बारे में सभी जानकारी हासिल कर ली. उसने सोचा कि अगर इस लड़के का अपहरण कर लिया जाता है तो फिरौती के रूप में उसके घर वालों से काफी रकम वसूली जा सकती है. उसने विपिन के अपहरण की योजना बनाई. 20 अगस्त को मौका मिला तो उसने उसका स्कूल के पास से अपहरण कर लिया. लड़के का अपहरण करने के बाद मिथिलेश राय के आदमी उसे बिहार के मधेपुरा ले गए और वहीं एक स्थान में रखा.

इस बीच गंगटोक में दिनदहाड़े एक स्कूली बच्चे के अपहरण से सनसनी फैल गई. अपहृत बच्चे के घर वालों ने गंगटोक थाना में बच्चे के अपहरण की रिपोर्ट लिखा दी थी. पुलिस ने तुरंत ही मामला दर्ज कर लिया और मामले की छानबीन में जुट गई. प्राथमिक स्तर पर कार्रवाई करते हुए पुलिस ने विपिन की बरामदगी के सारे प्रयास किये लेकिन पुलिस को कोई कामयाबी नहीं मिली. फिर पुलिस को पता चला कि अपहरणकर्ताओं ने फिरौती की रकम के लिए उसके घर वालों को फोन किया है. गंगटोक के एसपी की निगरानी में बच्चे की बरामदगी के लिए एक टीम का गठन किया गया था.

जैसे ही पुलिस टीम को पता चला कि अपहर्ता ने फिरौती के लिए फोन किया है, तो पुलिस ने घर वालों के फोन को सर्विलांस पर लगा दिया. जिस नंबर से फोन किया गया था, उसका लोकेशन बिहार के मधेपुरा का चौसा थाना क्षेत्र बता रहा था. लोकेशन पता चलने के बाद गंगटोक पुलिस ने मधेपुरा पुलिस से संपर्क किया और बच्चे की बरामदगी में बिहार पुलिस का सहयोग मांगा. बिहार पुलिस ने सिक्किम पुलिस का पूरा सहयोग करने का आश्वासन दिया. इस बीच अपहर्ता बार-बार अपना लोकेशन बदल रहे थे. उनका लोकेशन भागलपुर और मधेपुरा के आसपास था. इसलिए पुलिस को अपहरणकर्ता तक पहुंचने में काफी कठिनाई हो रही थी.

गंगटोक पुलिस अपहर्ताओं तक पहुंचने के लिए काफी प्रयास कर रही थी तो दूसरी तरफ मधेपुरा पुलिस भी अपने स्तर पर अपहृत बच्चे का पता लग रही थी. लेकिन तमाम प्रयासों के बावजूद पुलिस बल को कोई सफलता नहीं मिल रही थी. इस बीच काफी समय बीत गया. काफी दिन बीत जाने के बाद जब ना तो बच्चे के बारे में कुछ पता चला और ना ही अपहर्ताओं का कोई सुराग मालूम हुआ तो मामले की जांच कर रही पुलिस भी ना उम्मीद होने लगी. इसी बीच एक दिन अपहर्ताओं की तरफ से विपिन के घर वालों के पास फोन आया. जिसमें फिरौती की रकम नहीं देने पर बच्चे की हत्या करने की धमकी दी गई.गंगटोक पुलिस ने लोकेशन का पता लगाया तो पता चला कि यह फोन भागलपुर तथा मधेपुरा जिले के दियारा क्षेत्र से किया गया था.

गंगटोक के एसपी ने मधेपुरा के एसपी राजेश कुमार को फोन करके सारी बात बता दी तथा उनका सहयोग मांगा. इसके साथ ही गंगटोक पुलिस टीम मधेपुरा पहुंच गई. मधेपुरा पुलिस और गंगटोक पुलिस ने मिलकर एक संयुक्त अभियान चलाया और लोकेशन के आसपास के क्षेत्रो में अपहरणकर्ता की तलाश में छापेमारी अभियान चलाया. मधेपुरा पुलिस ने चौसा थाना क्षेत्र के अंतर्गत लौआ लगन गांव से मुख्य अपहरणकर्ता मिथिलेश राय समेत अन्य चार लोगों को अपनी हिरासत में लेकर पूछताछ की तो उन्होंने अपहरण कांड से पर्दा उठा दिया.

उनकी निशानदेही पर संयुक्त पुलिस टीम ने अपह्रत बच्चे विपिन को सकुशल बरामद कर लिया. बताया जा रहा है कि अगर तकनीकी सेल उन्नत नहीं होता तो शायद बच्चे की बरामदगी इतनी जल्दी नहीं हो पाती और ना ही अपहर्ता पकड़ा जाता. बताया जा रहा है कि अपहरण के बाद से ही मिथिलेश राय गंगटोक से गायब हो गया था. इसलिए पुलिस ने अपनी जांच में उसे भी शामिल किया था.

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