सच ही कहा गया है कि वक्त और भाग्य से बड़ा कुछ नहीं होता. वक्त कब इंसान की तकदीर पलट कर रख दे, यह कोई नहीं जानता. इंसान तो सिर्फ पुरुषार्थ करता है. राजस्थान के नए मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा एक समय अपने गांव अटारी से जयपुर जाने के क्रम में यात्रियों से भरी बस में सवार हो गए और बस के गेट पर लटक कर सफर कर रहे थे. तब क्या वह यह बात जानते थे कि एक दिन राजस्थान के नए सीएम बन जाएंगे.
जयपुर की सांगानेर सीट से पहली बार विधायक बने भजनलाल शर्मा रातों-रात मशहूर हो गए हैं. क्योंकि भारतीय जनता पार्टी के शीर्ष नेतृत्व ने उन्हें पूरे राजस्थान की कमान सौंप दी है. वह राजस्थान के नए मुख्यमंत्री बने हैं. भाजपा ने राजस्थान में दो उपमुख्यमंत्री भी बनाए हैं. उनमें दीया कुमारी और प्रेमचंद बैरवा के नाम शामिल है.राजस्थान में भाजपा के कई वरिष्ठ चेहरे हैं. उन्हें सीएम की रेस में देखा जा रहा था. वसुंधरा राजे के अलावा और भी कई चेहरे थे, जिन्हें भावी मुख्यमंत्री के तौर पर देखा जा रहा था.
लेकिन भाजपा नेतृत्व ने राजस्थान की बागडोर एक ऐसे हाथों में सौंपी है, जिसके बारे में कभी सोचा ही नहीं गया था. खुद भजन लाल शर्मा ने भी नहीं सोचा था कि एक दिन वह प्रदेश के नए मुख्यमंत्री बन जाएंगे. उन्हें राजस्थान में सामान्य वर्ग के रूप में देखा जाता रहा है. वे पिछले 35 साल से राजनीति में सक्रिय हैं. भजनलाल शर्मा की प्रारंभिक शिक्षा दीक्षा अटारी गांव में हुई है. इसके बाद माध्यमिक शिक्षा के लिए वे नदबई चले गए. उसी समय वे अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद से जुड़े.
1992 में भजनलाल शर्मा श्री राम जन्मभूमि आंदोलन में जेल गए. इसके बाद 1991 से लेकर 92 तक उन्हें भारतीय जनता युवा मोर्चा की जिम्मेदारी दी गई. 27 साल की उम्र में भजन लाल शर्मा अटारी गांव से सरपंच चुने गए.2010 से लेकर 2015 तक वह पंचायत समिति के सदस्य भी रहे. इसी तरह से मध्य प्रदेश के नए मुख्यमंत्री मोहन यादव भी एक नए चेहरे के रूप में जाने जाते हैं. तीन बार विधायक रहे. मध्य प्रदेश में नए मुख्यमंत्री के रूप में शिवराज सिंह चौहान का नाम सबसे आगे था. लेकिन केंद्रीय नेतृत्व ने लोगों की उम्मीदो से अलग हटकर एक नए चेहरे को मध्य प्रदेश की कमान सौंपी है. मोहन यादव ने सोचा नहीं होगा कि वह इतने बड़े वरिष्ठ नेताओं के बीच पहचाने जाएंगे और उन्हें मुख्यमंत्री की कुर्सी पर आसीन किया जाएगा.
58 साल के हो चुके मोहन यादव का राजनीतिक कैरियर 1984 में शुरू हुआ था. वे अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के सदस्य रहे. इसके अलावा वे RSSS के सदस्य भी हैं. मध्य प्रदेश के लोग मानते हैं कि यह वक्त का ही खेल है अन्यथा मध्य प्रदेश के सीएम तो शिवराज सिंह चौहान ही होते.
यह भाग्य का ही खेल कहा जा सकता है. जब किसी के जीवन में सितारे बुलंद होते हैं तो वक्त अपना खेल दिखाने लगता है. लेकिन वक्त के इस खेल को इंसान समझ नहीं पाता है. मध्य प्रदेश में बड़े-बड़े राजनीतिक पंडित भी गच्चा खा गए हैं. यहां तक कि मध्य प्रदेश के बड़े-बड़े भाजपा नेता भी चकित होकर रह गए हैं.परंतु यह सब वक्त का चमत्कार है, जो हर किसी के जीवन में कभी ना कभी अपना प्रभाव दिखाता है.
वक्त और भाग्य के इस खेल में छत्तीसगढ़ के नए मुख्यमंत्री भी अलग नहीं है. छत्तीसगढ़ के नए मुख्यमंत्री विष्णु देव साय आज से पहले तक गुमनाम थे. अब वह रातों-रात चर्चा में आ गए हैं. क्योंकि वे छत्तीसगढ़ के नए मुख्यमंत्री बन गए हैं. विष्णु देव साय एक आदिवासी नेता है और उन्हें सादगी के प्रतीक के रूप में देखा जाता है. वे कुनकुरी विधानसभा से जीते हैं. वे एक किसान परिवार से आते हैं. उनकी पढ़ाई दिखाई छत्तीसगढ़ के कुनकुरी में हुई है. वे पहली बार 1990 से 1998 तक मध्य प्रदेश विधानसभा के सदस्य रहे. उसके बाद 1999 में वे रायगढ़ से सांसद बने थे.
आज वैज्ञानिक और राजनीतिक पंडित भी कहीं ना कहीं यह स्वीकार करने की स्थिति में है कि इंसान की जिंदगी में वक्त और भाग्य का अहम स्थान है. जब वक्त और भाग्य किसी इंसान पर मेहरबान होता है तभी उसके जीवन में चमत्कार होता है.जैसे तीन प्रदेशों के मुख्यमंत्री के जीवन में चमत्कार हुआ है.