सिक्किम एक गुलाब की तरह है, जिसमें कांटे भी होते हैं. यह कांटा कुदरत के भू परिदृश्य के रूप में है, जिसके चलते कुदरत हर साल सिक्किम को अपनी चपेट में ले लेती है. ऐसा लगता है कि सिक्किम इसका अभ्यस्त होता जा रहा है. हर साल यहां छोटी बड़ी त्रासदी आती है. सरकारी इंतजाम कुदरत के कहर के आगे फेल हो जाते हैं. इस बार सिक्किम पर कुदरत ने ऐसा कहर ढाया कि पिछली त्रासदी का मंजर थिरक उठा, जब सिक्किम में तीस्ता ने विनाश लीला मचाई थी और दर्जनों लोग लापता हो गए थे.
एक बार फिर से कमोबेश वही स्थिति बनती नजर आ रही है. अभी तो मानसून की बरसात शुरू भी नहीं हुई है. Pre मानसून में तीस्ता ने सिक्किम से लेकर डुआर्स तक त्राहिमाम की स्थिति उत्पन्न कर दी है. सिक्किम में छातेन में सेना का कैंप भूस्खलन का शिकार हुआ है. तीन जवानों की मौके पर ही मौत हो गई. चार अन्य घायल हुए हैं. जबकि 6 जवान अभी भी लापता हैं, जिनकी तलाशी के लिए सभी तरह के हाईटेक कदम उठाए जा रहे हैं. इससे पहले 29 मई को मंगन जिले के मुंशीथांग में वाहन दुर्घटना में 10 लोगों की मौत हो गई थी. इस वाहन में प्रतापगढ़ का एक जोड़ा भी शामिल था, जो शादी के बाद हनीमून मनाने सिक्किम आया था.
सिक्किम में इस समय भारी बरसात के चलते भूस्खलन की घटनाएं बढ़ जाती हैं. पहाड़ टूटकर नीचे सड़क पर गिरते हैं. सिक्किम की जीवन रेखा मानी जाने वाली NH-10 बंद हो जाती है. इसका सिक्किम की अर्थव्यवस्था पर भारी असर पड़ता है. गंगटोक समेत कालिमपोंग जाने के मार्ग भी बंद हो जाते हैं. मौजूदा परिदृश्य यह है कि पिछले कई दिनों की बरसात से भूस्खलन की घटनाएं बढ़ गई है. लिखूवीर झोड़ा के पास जबर्दस्त भूस्खलन हुआ है. उधर तीस्ता नदी भौकाल मचाए हुए है.
सिक्किम की भौगोलिक संरचना और भू परिदृश्य ऐसा है कि यहां अनेक छोटे-बड़े पुल हैं. पुल के जरिए गांव और कस्बे जुड़े हुए हैं. लेकिन भूस्खलन, बरसात और नदियों में बाढ के चलते पुल भी बह जाते हैं. मंगन को चुंगथांग से जोड़ने वाले फिदांग बेली ब्रिज का एक हिस्सा तीस्ता नदी के बहाव के कारण टूट गया है. छातेन में जो पर्यटक फंस गए थे, उन्हें हेलीकॉप्टर के द्वारा गंगटोक लाया गया. पर्यटकों को सिक्किम से सुरक्षित बाहर निकालना सरकार की प्राथमिक चुनौती तो है ही. इसके साथ ही लापता लोगों की तलाश भी सरकार की जिम्मेवारी है. और भी कई चुनौतियां हैं. प्रतिकूल मौसम के बावजूद राहत एवं बचाव कार्य आसान नहीं है. मुख्यमंत्री प्रेम सिंह तमांग एक साथ कई चुनौतियों से निपट रहे हैं.
इसी तरह की चुनौतियां उत्तर बंगाल में भी देखी जा रही है. तीस्ता और भूटान से आने वाली नदियों के चलते उत्तर बंगाल में बाढ़ की स्थिति गंभीर होती जा रही है. मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के निर्देश पर सिंचाई मंत्री मानस भूईया ने पिछले दिनों Dooars आदि क्षेत्रों का दौरा किया था. वे कोलकाता लौटकर मुख्यमंत्री को एक विस्तृत रिपोर्ट सौंपेंगे. फिलहाल एक कोर कमेटी का गठन हो गया है.बहरहाल उत्तर बंगाल में तो स्थिति उतनी गंभीर नहीं है, जितनी कि सिक्किम में दिख रही है. पर्यटन विभाग के संयुक्त निदेशक काजी शेरपा, उपनिदेशक मनोज छेत्री, अनूप सुब्बा,सूचना सहायक पिंचो भूटिया की टीम लगातार बचाव कार्य में जुटी हुई है. इसके अलावा जिला प्रशासन, पुलिस अधिकारी, सीमा सड़क संगठन, आइटीबीपी और सिक्किम के अन्य सहयोगी संगठन भी बचाव अभियान में सक्रियता से जुटे हुए हैं.
विशेषज्ञ मानते हैं कि सिक्किम में अच्छी से अच्छी सड़क बना दी जाए, भारी से भरकम पुल बना दिए जाएं, फिर भी कुदरत उन्हें बहा ले जाती है. क्योंकि सिक्किम का भूगोल कुछ ऐसा है कि कुदरत आसानी से अपना रंग दिखाने में कामयाब हो जाती है. सवाल यह है कि सिक्किम हर साल कुदरत के कहर से कैसे बचेगा? लेकिन इसका जवाब किसी के पास नहीं है.
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