June 23, 2025
Sevoke Road, Siliguri
राजनीति उत्तर बंगाल दार्जिलिंग सिलीगुड़ी

राजू बिष्ट दार्जिलिंग भाजपा को कैसे संभाल सकेंगे!गुटबाजी से उबरने के लिए तृणमूल की तरह लेने होंगे कठोर फैसले!

दार्जिलिंग भाजपा में सब कुछ ठीक नहीं है. पार्टी में गुटबाजी इतनी अधिक है कि हर भाजपा नेता अपना कोई ना कोई गुट बनाकर पेश कर रहा है. चाहे वह समतल हो या पहाड़. यह भाजपा के विभिन्न नेताओं की बैठकों में भी देखने को मिला है. चाहे वह सिलीगुड़ी सांगठनिक जिला कमेटी हो या फिर पहाड़, पार्टी में गुटबाजी चरम सीमा पर पहुंच चुकी है.

सूत्र बता रहे हैं कि सिलीगुड़ी में विधायक शंकर घोष और भाजपा सांगठनिक जिला अध्यक्ष अरुण मंडल के बीच मतभेद हैं. जबकि माटीगाड़ा नक्सलबाड़ी के विधायक आनंदमय बर्मन और सांसद राजू बिष्ट के बीच भी संबंध अच्छे नहीं है. यह देखा गया है कि सिलीगुड़ी समतल में अगर विधायक शंकर घोष के द्वारा कोई कार्यक्रम किया जाता है तो उस कार्यक्रम में अरुण मंडल की उपस्थिति कम देखी जाती है. इसी तरह से जब अरुण मंडल का कोई राजनीतिक कार्यक्रम होता है, तो उसमें शंकर घोष की उपस्थिति ना के बराबर होती है.

उधर पहाड़ में भी भाजपा में गुटबाजी हावी है. कर्सियांग के भाजपा विधायक विष्णु प्रसाद राजू बिष्ट से दूरी बनाए हुए हैं. उन्होंने 2024 का लोकसभा चुनाव निर्दलीय लड़ा था और राजू विष्ट के खिलाफ लडा था. इसमें उनकी बुरी तरह हार हुई थी और उनकी जमानत भी जब्त हो गई थी. दार्जिलिंग के विधायक नीरज जिंबा की स्थिति यह है कि वे भाजपा के टिकट पर चुनाव तो जीत जाते हैं, लेकिन भाजपा के राजनीतिक कार्यक्रमों से दूरी बनाए रहते हैं.हां, राजू बिष्ट के कार्यक्रमों में शामिल जरूर होते हैं. लेकिन पार्टी की संगठनात्मक गतिविधियों से वे दूर ही रहते हैं.

हालांकि भाजपा समतल और पहाड़ में गुटबाजी को सिरे से नकारती है. अरुण मंडल बताते हैं कि पार्टी के अंदर किसी तरह की गुटबाजी या कलह नहीं है. जबकि सच्चाई यह है कि कुछ दिन पहले सिलीगुड़ी के विधायक शंकर घोष ने अपने व्हाट्सएप ग्रुप से अरुण मंडल को बाहर कर दिया था. हालांकि बाद में उन्हें वापस व्हाट्सएप ग्रुप से जोड भी दिया था. इसकी सफाई में सिलीगुड़ी सांगठनिक जिला कमेटी के अध्यक्ष अरुण मंडल कहते हैं कि इस बारे में शंकर घोष ही बता पाएंगे. हो सकता है कि भूलवश हो गया हो. भाजपा दार्जिलिंग संगठन के जिला कमेटी के अध्यक्ष कल्याण दीवान नीरज जिंबा और विष्णु प्रसाद की स्थिति स्पष्ट करते हुए कहते हैं कि नीरज जिंबा एक दूसरी पार्टी से जुड़े हुए हैं. जबकि विष्णु प्रसाद ने पार्टी के विरोध में आवाज उठाकर भारी गलती की है.

आज भाजपा जिस तरह से गुटबाजी की शिकार है, कुछ समय पहले तक तृणमूल कांग्रेस में भी ऐसा ही था. मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने जब से संगठन की कमान अपने हाथ में ली है, तभी से दार्जिलिंग समतल और पहाड़ तृणमूल में गुटबाजी भी खत्म होती नजर आ रही है. इसका प्रमाण तृणमूल कांग्रेस के दार्जिलिंग जिला संगठन में हुए भारी फेर बदल में देखा गया, जब पुराने चेहरों को दर किनार कर नए चेहरों को संगठन में जगह दी गई. जिस तरह से टीएमसी ने पुराने नेता पपिया घोष तथा उनके करीबी नेताओं को संगठन से बाहर का रास्ता दिखा दिया है, ठीक उसी तरह का फैसला दार्जिलिंग समतल और पहाड़ में भाजपा को कलह से उबरने के लिए पार्टी नेतृत्व को करना होगा.

अगर 2026 के विधानसभा चुनाव में भाजपा को तृणमूल कांग्रेस को कठिन चुनौती देनी है तो सबसे पहले उसे संगठन में एकता और निर्णायक क्षमता हासिल करनी होगी. अगर पार्टी में गुटबाजी ऐसे ही चलती रही तो तृणमूल कांग्रेस को रोक पाना भाजपा के लिए आसान नहीं होगा. इसलिए प्रदेश नेतृत्व को इस पर ध्यान देने की जरूरत है. जानकार मानते हैं कि दार्जिलिंग समतल और पहाड़ में भाजपा की गुटबाजी पिछले लोकसभा चुनाव के पहले से ही बनी हुई है. इस स्थिति में भाजपा टीएमसी का कैसे मुकाबला कर सकेगी, यह भाजपा के लिए चिंता का विषय जरूर है.

(अस्वीकरण : सभी फ़ोटो सिर्फ खबर में दिए जा रहे तथ्यों को सांकेतिक रूप से दर्शाने के लिए दिए गए है । इन फोटोज का इस खबर से कोई संबंध नहीं है। सभी फोटोज इंटरनेट से लिये गए है।)

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