November 25, 2024
Sevoke Road, Siliguri
उत्तर बंगाल लाइफस्टाइल सिलीगुड़ी

सिलीगुड़ी में महंगाई डायन खाए जात है!

पश्चिम बंगाल के दूसरे शहरों की तुलना में सिलीगुड़ी शहर में महंगाई सबसे अधिक देखी जा रही है. इसका कारण यह है कि सिलीगुड़ी शहर अंतरराष्ट्रीय सीमा से लगा हुआ शहर है. यहां से नेपाल, भूटान, बांग्लादेश की सीमा मिलती है. इसके साथ ही पूर्वोत्तर क्षेत्र का यह प्रवेश द्वार भी कहा जाता है. सिलीगुड़ी से सिक्किम, दार्जिलिंग का सीधा सड़क संपर्क भी है. सिलीगुड़ी में विधान मार्केट एक थोक मंडी है. इसके अलावा सब्जियों की मंडी के रूप में रेगुलेटेड मार्केट, चंपासारी विख्यात है.

यहां कोई बड़ी इंडस्ट्री नहीं है. यहां कोई बड़ा कल कारखाना नहीं है. अधिकतर दुकानें हैं अथवा लोगों के स्वरोजगार और व्यापार हैं, जहां काफी संख्या में श्रमिक और मजदूर काम करते हैं. उन्हें काम के हिसाब से बहुत कम वेतन मिलता है,पर उनकी जीवन शैली इतना साधारण है कि एक गरीब से गरीब व्यक्ति भी अपना गुजारा कर लेता है. लेकिन जिस तरह से सिलीगुड़ी शहर का विकास हो रहा है, उससे महंगाई भी बढी है. साग सब्जियों के दाम बंगाल के दूसरे शहरों की बात तो छोड़िए, कोलकाता महानगर से भी काफी ज्यादा है. पिछले कुछ सालों में सिलीगुड़ी में मकान का किराया अत्यधिक बढा है. यह इतना ज्यादा है कि कोलकाता और दिल्ली को भी मात कर दे.

इसका कारण है शहर की आबादी का बढ़ना.जो 7 लाख से भी ज्यादा है. काफी संख्या में पड़ोसी राज्यों से श्रमिक और मजदूर काम की तलाश में सिलीगुड़ी आते हैं और छोटे-मोटे काम में लगकर यहीं के होकर रह जाते हैं. ऐसे लोगों को मकान की आवश्यकता होती है. मकान मालिक पर प्रशासनिक दबाव और ना ही कोई गाइडलाइंस रहता है. ऐसे लोग श्रमिक मजदूरों से मनमानी किराया वसूल करते हैं. एक साधारण फ्लैट का किराया सिलीगुड़ी के ग्रामीण और बस्ती क्षेत्रों में कम से कम ₹7000 प्रति महीना है. जबकि नए लोगों को दुकान अथवा प्रतिष्ठान में काम करके भी मुश्किल से 8 से 10 हजार महीना मिलता है.

जानकार मानते हैं कि सिलीगुड़ी में मकान का जितना किराया है,उतना किराया तो कोलकाता में भी नहीं है. कोलकाता महानगर से लगभग दुगुना ज्यादा कहा जा सकता है. अगर कोलकाता से तुलना की जाए तो यहां साग सब्जियों की कीमत हमेशा ही ऊपर रहती है. सिलीगुड़ी शहर और बस्ती क्षेत्रों में निर्माण कार्य, सड़क, नल जल और लाइट को दुरुस्त करने का कार्य जोर पकड़ रहा है. मुख्य सड़कों को चौड़ा किया जा रहा है. उसका सौंदर्यीकरण भी किया जा रहा है. इसके अलावा सहायक मार्गों का भी जीर्णोद्धार किया जा रहा है. जानकारों के अनुसार महंगाई बढ़ाने में इनका भी परोक्ष रूप से हाथ रहता है. निजी क्षेत्र में भी विकास के कार्यों में तेजी आई है. बस्ती क्षेत्रों में भवन निर्माण से लेकर बुनियादी संसाधन भी विकसित किये जा रहे हैं. इन सभी कारणों से भी सिलीगुड़ी शहर दिनों दिन महंगा होता जा रहा है.

सिलीगुड़ी शहर की आबादी बढ़ रही है. सिलीगुड़ी नगर निगम की ओर से जलापूर्ति में समस्या आ रही है. साधन संपन्न परिवार तो जल की व्यवस्था कर लेते हैं, परंतु जिन लोगों की आमदनी बहुत कम है, वे तो यही कहते हैं कि उन्हें महंगाई डायन खाए जात है. यहां फलों के दाम भी बहुत ज्यादा है. अब तो साधन संपन्न लोग भी मानने लगे हैं कि पिछले कुछ वर्षों में सिलीगुड़ी के विकास के साथ-साथ महंगाई में भी काफी वृद्धि हुई है. लोगों का मानना है कि जैसे-जैसे सिलीगुड़ी का विकास होता जाएगा, महंगाई और तेजी से बढ़ेगी. प्रशासन महंगाई पर नियंत्रण का कोई कारगर कदम नहीं उठा रहा है.

सरकार की योजना है कि सिलीगुड़ी शहर को मेगा सिटी, स्मार्ट सिटी या मॉडर्न सिटी बनाया जाए. आने वाले समय में पेयजल परियोजना से लेकर सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट जैसे कार्य होने वाले हैं. डंपिंग ग्राउंड में बायो माइनिंग का काम चल रहा है. कंचनजंगा स्टेडियम का कायाकल्प किया जाएगा. इस कार्य में 15 करोड रुपए खर्च होंगे. स्टेडियम के एक हिस्से को तोड़कर नए सिरे से बनाया जाएगा. संपूर्ण कार्य के लिए 45 करोड रुपए निवेश किए जाएंगे. स्ट्रीट लाइट, रोड लाइट का भी काम चल रहा है. इसके अलावा पुल और वैकल्पिक रास्ते भी बनाए जाएंगे. ट्रैफिक जाम की समस्या के समाधान के लिए भी योजना की रूपरेखा तैयार की जा चुकी है. शहर के मुख्य मार्गो को चौड़ा किया जा रहा है. SF रोड पर स्ट्रीट फूड स्टॉल भी बनाए जा रहे हैं. आदि आदि.

अर्थात आने वाले समय में सिलीगुड़ी शहर को सुंदर,साफ, व्यवस्थित और विकसित करने की पूरी तैयारी है.तब उस समय यहां महंगाई का आलम क्या होगा, इसे आसानी से समझा जा सकता है. शहर के विकास में नागरिकों का भी योगदान रहता है और नागरिकों के कल्याण के लिए प्रशासन को संसाधनों से लेकर महंगाई नियंत्रण पर भी विचार करना होता है. अर्थशास्त्रियों के अनुसार महंगाई पर नियंत्रण के लिए व्यक्ति की आय बढ़नी भी जरूरी है. जब आय नहीं बढ़ेगी और खर्चे बढ़ेगे तो अव्यवस्था उत्पन्न होती है और असंतुलन बढ़ता है. इससे विकास अवरूद्ध होता है.

(अस्वीकरण : सभी फ़ोटो सिर्फ खबर में दिए जा रहे तथ्यों को सांकेतिक रूप से दर्शाने के लिए दिए गए है । इन फोटोज का इस खबर से कोई संबंध नहीं है। सभी फोटोज इंटरनेट से लिये गए है।)

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