अलीपुरद्वार के इस गांव के लोग कानून अपने हाथ में लेते हैं एवं व्यवस्था खुद करते हैं. ऐसा लगता है कि उन्हें सरकारी कानून एवं व्यवस्था पर भरोसा नहीं है. वे जानते हैं कि पुलिस अपराधी को कोर्ट में पेश करती है. देर सवेर अपराधी जेल से छूट जाता है और फिर से अपराध करने लग जाता है. इसलिए इस गांव के लोगों ने अपराधी का खुद ही फैसला कर डाला. उसे एक पेड़ से बांधकर इतना पीटा कि उसकी घटनास्थल पर ही मौत हो गई. आपको बता दूं कि इस व्यक्ति पर आरोप यह था कि उसने एक 5 साल की मासूम बच्ची को न केवल अपनी हवस का शिकार बनाया, बल्कि उसे मौत के भी घाट उतार दिया…
सिलीगुड़ी हो या उत्तर बंगाल का कोई भी जिला, वर्तमान में अपराध की घटनाओं में वृद्धि देखी जा रही है. सिलीगुड़ी में ₹500 के लिए एक व्यक्ति का खून हो जाता है तो अलीपुरद्वार जिले में अबोध बच्चियों के साथ दुष्कर्म और हत्या की घटनाएं थमने का नाम नहीं ले रही है. अभी 20 दिन पहले ही जय गांव में 7 साल की एक बच्ची के साथ दुष्कर्म कर उसकी हत्या की घटना ने काफी बवाल मचाया था. अब जो घटना सामने आ रही है, वह पिछली घटना से भी ज्यादा रोंगटे खड़ी कर देने वाली, सनसनीखेज और हैरान कर देने वाली है.
अलीपुरद्वार जिले के अंतर्गत फालकाटा ब्लॉक में एक गांव पड़ता है, धनीरामपुर. यहां काली पूजा का त्यौहार पूरे धूमधाम के साथ मनाया जा रहा था. पंडाल देखने के लिए लोगों की काफी भीड़ थी. बच्चे बूढे सभी पंडाल में जमा थे. दोपहर का समय था नजदीक के एक घर से निकलकर 5 साल की एक बच्ची भी पूजा पंडाल देखने आई थी. इसी बच्ची के साथ दुष्कर्म और फिर उसकी हत्या कर दी गई.
शाम तक बच्ची घर नहीं लौटी तो घर के लोगों ने उसे ढूंढना शुरू कर दिया. इसी क्रम में घर के लोगों को पता चला कि उनकी लड़की पड़ोस में ही रहने वाले एक 40 वर्षीय व्यक्ति मोना राय के साथ कहीं जा रही थी. इस जानकारी के बाद घर वाले उक्त व्यक्ति के घर पहुंचे. अभी वे घर से कुछ दूर ही थे कि उन्हें किसी बच्ची के रोने का स्वर सुनाई दिया. उन्हें लगा कि यह वही बच्ची थी, जिसे ढूंढने के लिए निकले थे. वे जल्दी-जल्दी घर पहुंचे. उन्होंने देखा कि मोना राय एक 40 वर्षीय व्यक्ति नल पर हाथ मुंह धो रहा था. उसके हाथ में खून लगा था. पांव में भी खून के दाग थे.
यह देखकर उसे ढूंढने आए लोग भी हैरान रह गए. जब लोगों ने मोना राय के हाथ और पैर में खून लगे होने के बारे में पूछा तो वह ठीक से जवाब नहीं दे सका. लोगों ने पूछा कि उसके घर से एक बच्ची के रोने और चीखने की आवाज सुनाई दे रही थी. कुछ लोगों ने पूछा कि उसने बच्ची को कहां गायब किया है. लेकिन उसने इसका कोई जवाब नहीं दिया. वह सिर्फ इतना बोला कि उसने बच्ची को जलेबी खिलाकर रास्ते में ही छोड़ दिया था.
बच्ची के परिजन मोना राय के घर में बच्ची को ढूंढते रहे. लेकिन वहां बच्ची नहीं थी. ना ही मोना राय ने बच्ची के बारे में उन्हें कोई जानकारी दी. इस बीच कई बच्चे भी वहां आ गए थे और आसपास के क्षेत्र में गायब हुई बच्ची की तलाश करने लगे. तभी नजदीक में ही स्थित एक तालाब में गायब हुई बच्ची का शव नजर आया तो लोग वहां पहुंच गए. नजदीक जाकर देखा गया तो यह वही बच्ची थी जो पूजा पंडाल से गायब हुई थी. गुस्से में तमतमाए लोग मोना राय के घर में घुस गए. इस बीच मोना राय ने मौके की नजाकत को भांप कर वहां से निकल भागने की कोशिश की. लेकिन वह आक्रोशित लोगों के बीच से भाग नहीं सका. बच्ची के परिजनों और गांव वालों ने मिलकर आरोपी मोना राय को एक पेड़ से बांध दिया और उसकी इस कदर पिटाई की कि वह अधमरा सा हो गया.
इस बीच फाला काटा थाना के अंतर्गत जटेश्वर आउटपोस्ट की पुलिस को मामले की जानकारी हुई तो पुलिस बल मौके पर पहुंचा. पुलिस ने मोना राय को बचाने की कोशिश की. पर गांव वालों ने पुलिस को वहां आने ही नहीं दिया. काफी मशक्कत के बाद पुलिस ने मोना गाय को गांव वालों के कब्जे से छुड़ाया और उसे अस्पताल पहुंचाया. लेकिन तब तक मोना राय का देहांत हो चुका था.
गांव वालों ने कहा कि पुलिस उसे गिरफ्तार करती और फिर अदालत ले जाती. कुछ दिन जेल में रहता और वह फिर जमानत पर बाहर आ जाता. पर ऐसे लोगों को समाज में जीने का कोई अधिकार नहीं होना चाहिए. यही सोचकर उन्होंने उसे सजा दे डाली. खबर है कि इस घटना के बाद मौके पर पहुंची पुलिस के साथ गांव वालों ने काफी बवाल काटा. पुलिस मामले की छानबीन कर रही है.
यह मामला यहां काफी तूल पकड़ चुका है. गांव वालों ने घटना के विरोध में सड़क जाम कर दिया है. कानून व्यवस्था के मुद्दे पर भी सवाल उठने लगे हैं. ऐसी चर्चा है कि जटेश्वर आउटपोस्ट की पुलिस ने घटना के संदर्भ में एक व्यक्ति को गिरफ्तार किया है. गांव वाले उसकी फांसी की मांग कर रहे हैं.